11.1 पत्र-लेखन - प्रार्थना-पत्र, आवेदन-पत्र, बधाई-पत्र, शुभकामना-पत्र, निमंत्रण-पत्र, संवेदना-पत्र, शिकायती-पत्र, समस्या-संबंधी (प्रकाशनार्थ) पत्र

 

हिन्दी भाषा और अनुप्रयुक्त व्याकरण

खंड – अवबोधन तथा रचनात्मक अभिव्यक्ति

12 लिखित रचना –

पत्र-लेखन - प्रार्थना-पत्र, आवेदन-पत्र, बधाई-पत्र, शुभकामना-पत्र, निमंत्रण-पत्र, संवेदना-पत्र, शिकायती-पत्र, समस्या-संबंधी (प्रकाशनार्थ) पत्र

पत्र-लेखन

पत्र-लेखन की परिभाषा

लिखित रूप में अपने मन के भावों एवं विचारों को प्रकट करने का माध्यम 'पत्र' हैं। 'पत्र' का शाब्दिक अर्थ हैं, 'ऐसा कागज जिस पर कोई बात लिखी अथवा छपी हो'। पत्र के द्वारा व्यक्ति अपनी बातों को दूसरों तक लिखकर पहुँचाता हैं। हम पत्र को अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम भी कह सकते हैं। व्यक्ति जिन बातों को जुबां से अथवा मौखिक रूप से कहने में संकोच करता हैं, हिचकिचाता हैं; उन सभी बातों को वह पत्र के माध्यम से लिखित रूप में खुलकर अभिव्यक्त करता हैं।

दूर रहने वाले अपने सबन्धियों अथवा मित्रों की कुशलता जानने के लिए तथा अपनी कुशलता का समाचार देने के लिए पत्र एक साधन है। इसके अतिरिक्त्त अन्य कार्यों के लिए भी पत्र लिखे जाते है।

आजकल हमारे पास बातचीत करने, हाल-चाल जानने के अनेक आधुनिक साधन उपलब्ध हैं ; जैसे- टेलीफोन, मोबाइल फोन, ई-मेल, फैक्स आदि। प्रश्न यह उठता है कि फिर भी पत्र-लेखन सीखना क्यों आवश्यक है ? पत्र लिखना महत्त्वपूर्ण ही नहीं, अपितु अत्यंत आवश्यक है, कैसे? जब आप विद्यालय नहीं जा पाते, तब अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखना पड़ता है। सरकारी व निजी संस्थाओं के अधिकारियों को अपनी समस्याओं आदि की जानकारी देने के लिए पत्र लिखना पड़ता है। फोन आदि पर बातचीत अस्थायी होती है। इसके विपरीत लिखित दस्तावेज स्थायी रूप ले लेता है।

पत्रों की उपयोगिता/महत्व

उक्त अँगरेजी विद्वान् के कथन का आशय यह है कि जिस प्रकार कुंजियाँ बक्स खोलती हैं, उसी प्रकार पत्र (letters) ह्रदय के विभित्र पटलों को खोलते हैं। मनुष्य की भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति पत्राचार से भी होती हैं। निश्छल भावों और विचारों का आदान-प्रदान पत्रों द्वारा ही सम्भव है।

पत्र लेखन दो व्यक्तियों के बीच होता है। इसके द्वारा दो हृदयों का सम्बन्ध दृढ़ होता है। अतः पत्राचार ही एक ऐसा साधन है, जो दूरस्थ व्यक्तियों को भावना की एक संगमभूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। पति-पत्नी, भाई-बहन, पिता-पुत्र- इस प्रकार के हजारों सम्बन्धों की नींव यह सुदृढ़ करता है। व्यावहारिक जीवन में यह वह सेतु है, जिससे मानवीय सम्बन्धों की परस्परता सिद्ध होती है। अतएव पत्राचार का बड़ा महत्व है।

(1) पत्र साहित्य की वह विद्या हैं जिसके द्वारा मनुष्य समाज में रहते हुए अपने भावों एवं विचारों को दूसरों तक सम्प्रेषित करना चाहता हैं, इसके लिए वह पत्रों का सहारा लेता हैं। अतः व्यावसायिक, सामाजिक, कार्यालय आदि से सम्बन्धित अपने भावों एवं विचारों को प्रकट करने में पत्र अत्यन्त उपयोगी होते हैं।

(2) पत्र मित्रों एवं परिजनों से आत्मीय सम्बन्ध एवं सम्पर्क स्थापित करने हेतु उपयोगी होते हैं। पत्र के माध्यम से मनुष्य प्रेम, सहानुभूति, क्रोध आदि प्रकट करता हैं।

(3) कार्यालय एवं व्यवसाय के सम्बन्ध में मुद्रित रूप में प्राप्त पत्रों का विशेष महत्त्व होता हैं। मुद्रित रूप में प्राप्त पत्रों को सुरक्षित रखा जा सकता हैं।

(4) छात्र जीवन में भी पत्रों का विशेष महत्त्व हैं। स्कूल से अवकाश लेना, फीस माफी, स्कूल छोड़ने, स्कॉलरशिप पाने, व्यवसाय चुनने, नौकरी प्राप्त करने के लिए पत्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं।

(5) पत्र सामाजिक सम्बन्धों को मजबूत करने का माध्यम हैं। पत्रों की सबसे बड़ी उपयोगिता यह हैं कि कभी-कभी पत्र भविष्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज भी बन जाता हैं।

पत्र लेखन एक कला है

आधुनिक युग में पत्रलेखन को 'कला' की संज्ञा दी गयी है। पत्रों में आज कलात्मक अभिव्यक्तियाँ हो रही है। साहित्य में भी इनका उपयोग होने लगा है। जिस पत्र में जितनी स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही प्रभावकारी होगा। एक अच्छे पत्र के लिए कलात्मक सौन्दर्यबोध और अन्तरंग भावनाओं का अभिव्यंजन आवश्यक है।

एक पत्र में उसके लेखक की भावनाएँ ही व्यक्त नहीं होती, बल्कि उसका व्यक्तित्व (personality) भी उभरता है। इससे लेखक के चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कार, मानसिक स्थिति, आचरण इत्यादि सभी एक साथ झलकते हैं। अतः पत्रलेखन एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है। लेकिन, इस प्रकार की अभिव्यक्ति व्यवसायिक पत्रों की अपेक्षा सामाजिक तथा साहित्यिक पत्रों में अधिक होती है।

पत्र लिखने के लिए कुछ आवश्यक बातें

(1) जिसके लिए पत्र लिखा जाये, उसके लिए पद के अनुसार शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।

(2) पत्र में हृदय के भाव स्पष्ट रूप से व्यक्त होने चाहिए।

(3) पत्र की भाषा सरल एवं शिष्ट होनी चाहिए।

(4) पत्र में बेकार की बातें नहीं लिखनी चाहिए। उसमें केवल मुख्य विषय के बारे में ही लिखना चाहिए।

(5) पत्र में आशय व्यक्त करने के लिए छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।

(6) पत्र लिखने के पश्चात उसे एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए।

(7) पत्र प्राप्तकर्ता की आयु, संबंध, योग्यता आदि को ध्यान में रखते हुए भाषा का प्रयोग करना चाहिए।

(8) अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए।

(9) पत्र में लिखी वर्तनी-शुद्ध व लेख-स्वच्छ होने चाहिए।

(10) पत्र प्रेषक (भेजने वाला) तथा प्रापक (प्राप्त करने वाला) के नाम, पता आदि स्पष्ट रूप से लिखे होने चाहिए।

(11) पत्र के विषय से नहीं भटकना चाहिए यानी व्यर्थ की बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए।

अच्छे पत्र की विशेषताएँ

एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ है-

(1) प्रभावोत्पादकता

(2) विचारों की सुस्पष्ठता

(3) संक्षेप और सम्पूर्णता

(4) सरल भाषाशैली

(5) बाहरी सजावट

(6) शुद्धता और स्वच्छता

(7) विनम्रता और शिष्टता

(8) सद्भावना

(9) सहज और स्वाभाविक शैली

(10) क्रमबद्धता

(11) विराम चिह्नों पर विशेष ध्यान

(12) उद्देश्यपूर्ण

(1) प्रभावोत्पादकता :- किसी भी पत्र का प्रथम गुण हैं उसकी प्रभावोत्पादकता। जो पत्र अपने पाठक को प्रभावित नहीं करते वे जल्दी ही रद्दी की टोकरी में चले जाते हैं। उनका लिखा जाना और न लिखा जाना- दोनों बराबर हैं। अच्छा पत्र-लेखक वही हैं, जो अपने विचार प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर सके। इसके लिए जरूरी हैं कि आप जो बात पत्र में लिखना चाहते हैं उसपर पहले गंभीरता से विचार कर लें। फिर उसे इस ढंग से प्रस्तुत करें कि पढ़नेवाले पर उसका अनुकूल असर हो।

(2) विचारों की सुस्पष्ठता :- पत्र में लेखक के विचार सुस्पष्ट और सुलझे होने चाहिए। कहीं भी पाण्डित्य-प्रदर्शन की चेष्टा नहीं होनी चाहिए। बनावटीपन नहीं होना चाहिए। दिमाग पर बल देनेवाली बातें नहीं लिखी जानी चाहिए।

(3) संक्षेप और सम्पूर्णता:-- पत्र अधिक लम्बा नहीं होना चाहिए। वह अपने में सम्पूर्ण और संक्षिप्त हो। उसमें अतिशयोक्ति, वाग्जाल और विस्तृत विवरण के लिए स्थान नहीं है। इसके अतिरिक्त, पत्र में एक ही बात को बार-बार दुहराना एक दोष है। पत्र में मुख्य बातें आरम्भ में लिखी जानी चाहिए। सारी बातें एक क्रम में लिखनी चाहिए। इसमें कोई भी आवश्यक तथ्य छूटने न पाय। पत्र अपने में सम्पूर्ण हो, अधूरा नहीं। पत्रलेखन का सारा आशय पाठक के दिमाग पर पूरी तरह बैठ जाना चाहिए। पाठक को किसी प्रकार की लझन में छोड़ना ठीक नहीं।

(4) सरल भाषाशैली:- पत्र की भाषा साधारणतः सरल और बोलचाल की होनी चाहिए। शब्दों के प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए। ये उपयुक्त, सटीक, सरल और मधुर हों। सारी बात सीधे-सादे ढंग से स्पष्ट और प्रत्यक्ष लिखनी चाहिए। बातों को घुमा-फिराकर लिखना उचित नहीं।

(5) बाहरी सजावट:- पत्र की बाहरी सजावट से हमारा तात्पर्य यह है कि

(i) उसका कागज सम्भवतः अच्छा-से-अच्छा होना चाहिए;

(ii) लिखावट सुन्दर, साफ और पुष्ट हो;

(iii) विरामादि चिह्नों का प्रयोग यथास्थान किया जाय;

(iv) शीर्षक, तिथि, अभिवादन, अनुच्छेद और अन्त अपने-अपने स्थान पर क्रमानुसार होने चाहिए;

(v) पत्र की पंक्तियाँ सटाकर न लिखी जायँ और

(vi) विषय-वस्तु के अनुपात से पत्र का कागज लम्बा-चौड़ा होना चाहिए।

(6) शुद्धता और स्वच्छता:- शुद्धता और स्वच्छता पत्र के अन्य महत्त्वपूर्ण गुण होते हैं। साफ-सुथरे कागज पर सफाई के साथ लिखा गया पत्र मन को प्रसन्न करता हैं। पत्र में काट-पीट और उलटी-सीधी पंक्तियाँ देखकर मन उचटने-सा लगता हैं। इसके लिए बेहतर होगा कि पहले पत्र को रफ लिखा जाए और बाद में उसे साफ-साफ उतारकर संबंधित व्यक्ति के पास भेजा जाए।

शुद्धता की दृष्टि से पत्रों में यह ध्यान रखना चाहिए कि शब्द-रचना और वाक्य-विन्यास सही हो। उनमें वर्तनी और व्याकरणगत अशुद्धियाँ न हों। अतः पत्र लिखने के बाद उसे एक बार पढ़ अवश्य लें। शब्द, वाक्य, व्याकरण आदि की अशुद्धियाँ रह जाने पर अर्थ का अनर्थ हो सकता हैं।

(7) विनम्रता और शिष्टता:- विनम्रता व्यक्तित्व का ही नहीं, पत्र का भी विशेष गुण हैं, क्योंकि पत्र में पत्र-लेखक का व्यक्तित्व झलकता हैं। आपकी मन स्थिति कैसी भी क्यों न हों, पत्र लिखते समय सदैव शिष्टता और विनम्रता का ही परिचय देना चाहिए। इस प्रकार आपके बिगड़े काम भी बन सकते हैं। इसके विपरीत अशिष्टतापूर्ण पत्रों से कभी-कभी बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। इनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं।

(8) सद्भावना:- पत्र का सद्भावनापूर्ण होना जरूरी हैं। यदि आपको शिकायती पत्र भी लिखना पड़े तो उसमें आपको असद्भावना नहीं प्रकट होना चाहिए। ऐसे मामलों में विवेक और संयम का ही परिचय देना चाहिए। धमकी, उपालंभ आदि का दुर्भाव प्रकट न करना ही श्रेयस्कर रहता हैं। सद्भावनापूर्णपत्र (समाज में) आपस में प्रेम और भाईचारे को जन्म देते हैं।

(9) सहज और स्वाभाविक शैली :- पत्रों की भाषा-शैली सहज-स्वाभाविक होनी चाहिए। उसमें कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सीधे-सादे सरल शब्दों के चयन से विचारों की सचाई झलकती हैं। काव्यात्मक और कल्पना-प्रधान शैली पत्र की स्वाभाविकता को नष्ट कर देती हैं।

(10) क्रमबद्धता:- पत्र लेखन करते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक हैं। जो बात पत्र में पहले लिखी जानी चाहिए उसे पत्र में प्रारम्भ में तथा बाद में लिखी जाने वाली बात को अन्त में ही लिखा जाना चाहिए।

(11) विराम चिह्नों पर विशेष ध्यान:- पत्र में विराम चिह्नों को सही स्थान पर प्रयोग किया जाना चाहिए। विराम चिह्नों का सही प्रयोग न होने से अर्थ का अनर्थ हो जाता हैं। उचित स्थान पर विराम चिह्नों का प्रयोग पत्र को आकर्षक बनाता हैं।

(12) उद्देश्यपूर्ण:- पत्र इस प्रकार लिखा जाना चाहिए जिससे पाठक की हर जिज्ञासा शान्त हो जाए। पत्र अधूरा नहीं होना चाहिए पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया जाना निश्चित हो उसका उल्लेख पत्र में निश्चित तौर पर किया जाना चाहिए। पत्र पूरा होने पर उसे एक बार अन्त में पुनः पढ़ लेना चाहिए।

पत्र के भाग

पत्र को जिस क्रम में प्रस्तुत किया जाता हैं अथवा लिखा जाता हैं, वे पत्र के भाग कहलाते हैं। अनौपचारिक व औपचारिक पत्रों में पत्र के भाग सामान्य रूप से समान होते हैं। दोनों श्रेणियों के पत्रों में कुछ अन्तर होता हैं। जिसे यहाँ स्पष्ट किया गया हैं। सामान्यतः पत्र के निम्नलिखित भाग होते हैं-

(1) शीर्षक या आरम्भ- पत्र के शीर्षक के रूप में पत्र-लेखक का पता लिखा जाता हैं। एक तरह से शीर्षक पत्र-लेखक का परिचायक होता हैं। पत्र लिखने वाले का पता पत्र के बायीं ओर सबसे ऊपर लिखा जाता हैं। परीक्षा के सन्दर्भ में यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि यदि परीक्षा में पूछे गए पत्र में पते का उल्लेख न किया गया हो तो उसके स्थान पर 'परीक्षा भवन' लिखा जाता हैं। इसके ठीक नीचे पत्र लिखने की तिथि लिखी जाती हैं। औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत विषय का उल्लेख सीमित शब्दों में स्पष्ट रूप से किया जाता हैं जबकि अनौपचारिक पत्रों में विषय का उल्लेख नहीं होता।

(2) सम्बोधन एवं अभिवादन- पत्रों में सम्बोधन एवं अभिवादन का महत्त्वपूर्ण स्थान होता हैं। औपचारिक पत्रों में यह प्रायः 'मान्यवर', 'महोदय' आदि शब्द-सूचकों से दर्शाया जाता हैं जबकि अनौपचारिक पत्रों में यह 'पूजनीय' 'स्नेहमयी', 'प्रिय' आदि शब्द-सूचकों से दर्शाया जाता हैं।

(3) विषय-वस्तु- किसी भी पत्र में विषय-वस्तु ही वह महत्त्वपूर्ण अंग हैं, जिसके लिए पत्र लिखा जाता हैं। इसे पत्र का मुख्य भाग भी कहते हैं। यह प्रभावशाली होना चाहिए। जिन विचारों एवं भावों को आप प्रकट करना चाहते हैं, उन्हें ही क्रमशः लिखना चाहिए। अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास कीजिए। ध्यान रखिए कि आप पत्र लिख रहे हैं, कोई कहानी या नाटक नहीं। अतः विषयवस्तु को अनावश्यक विस्तार न दीजिए।

जिस तरह विषयवस्तु का आरंभ प्रभावशाली होना चाहिए। उसी प्रकार उसका समापन भी ऐसा होना चाहिए, जो पाठक के मन को प्रभावित कर सके।

(4) मंगल कामनाएँ- विषयवस्तु की समाप्ति के बाद मंगल कामनाएँ व्यक्त करना न भूलें। ये मंगल कामनाएँ पढ़कर वाचक को लगता हैं कि पत्र-लेखक उसका शुभचिंतक हैं। प्रायः 'शुभकामनाओं सहित', 'सद्भावनाओं सहित', 'मंगल कामनाओं सहित', 'सस्नेह' आदि शब्दों का प्रयोग मंगल कामनाओं की अभिव्यक्ति के लिए किया जाता हैं। मंगल सूचक शब्दों के बाद अर्द्धविराम लगाना चाहिए।

(5) अंत- पत्र के अंतिम अंग के रूप में 'आपका', 'भवदीय', 'आज्ञाकारी', 'शुभाकांक्षी' आदि शब्दों का प्रयोग प्रसंगानुसार किया जाता हैं। ऐसे शब्दों का उल्लेख उपर्युक्त तालिका में किया गया हैं। इन शब्दों के नीचे अपने हस्ताक्षर करना चाहिए। इन हस्ताक्षरों के साथ उपाधि आदि का उल्लेख नहीं करना चाहिए। इस प्रकार पूरा पत्र लिखने के बाद, लिफाफे में बंद करने से पहले एक बार पढ़ अवश्य लेना चाहिए कि कहीं कुछ छूट तो नहीं गया हैं, अथवा आप जो बात कहना चाहते थे वही लिखा भी गया हैं या नहीं।

अगर पत्र पोस्टकार्ड पर लिखा गया हैं तो उसमें निर्धारित स्थान पर उस व्यक्ति संस्था आदि का पूरा पता लिखें। अन्यथा पत्र को यथोचित मोड़कर लिफाफे में रख दें। फिर लिफाफे पर पानेवाले का पूरा पता अवश्य लिख दें। पता लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पता साफ और पूरा लिखा गया हो। पते में सबसे पहले पानेवाले का नाम, फिर दूसरी पंक्ति में मकान नं., सड़क, गली, मुहल्ले और शहर का नाम लिखना चाहिए। आजकल समय से डाक पहुँचे, इसके लिए पिनकोड का चलन हो गया हैं। अतः नगर के साथ-साथ पिनकोड और राज्य भी लिख दें।

लिफाफे पर पानेवाले का पता बीच में लिखना चाहिए। जिस ओर पता लिखा हैं उसी ओर नीचे, बाएँ कोने में 'प्रेषक' लिखकर अपना पता लिख दें। अंतर्देशीय पत्रों में दोनों पतों की अलग-अलग व्यवस्था होती हैं। पत्र को पोस्ट करने से पहले यह देख लें कि उसपर पर्याप्त डाक टिकट लगे हैं या नहीं। पर्याप्त टिकटों के अभाव में पत्र 'बैरंग' माना जाता हैं और उसके सामान्य मूल्य से दो गुना मूल्य पत्र पानेवाले को चुकाना पड़ता हैं।

प्रार्थना पत्र / आवेदन पत्र (औपचारिक पत्र)

किसी अधिकारी को लिखा जाने वाला पत्र 'आवेदन-पत्र' कहलाता हैं। आवेदन-पत्र में अपनी स्थिति से अधिकारी को अवगत कराते हुए अपेक्षित सहायता अथवा अनुकूल कार्यवाही हेतु प्रार्थना की जाती हैं। आवेदन-पत्र पूरी तरह से औपचारिक होता हैं, अतः इसे लिखते समय कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे- आवेदन-पत्र लिखते समय सबसे पहले ध्यान देने वाली जो बात हैं, वह यह हैं कि इसमें विनम्रता एवं अधिकारी के सम्मान का निर्वाह आवश्यक होता हैं। इसके अतिरिक्त इसकी शब्द-योजना एवं वाक्य-रचना सरल तथा बोधगम्य होनी चाहिए।

चूँकि एक अधिकारी के पास इतना समय नहीं होता कि वह आपके आवेदन-पत्र के सभी विवरण को पढ़ सके, अतः आपको पत्र के द्वारा जो कुछ कहना हो, उसे संक्षेप में कहें। साथ ही जो बात आप कह रहे हैं, वह विश्वसनीय और प्रमाण पुष्ट भी होनी चाहिए।

आवेदन-पत्र के मुख्य भाग

आवेदन-पत्र को व्यवस्थित रूप से लिखने के लिए इसे निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया हैं-

(1) प्रेषक का पता- आवेदन पत्र लिखते समय सबसे ऊपर बायीं ओर पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता हैं।

(2) तिथि/दिनांक- प्रेषक के पते ठीक नीचे बायीं ओर जिस दिन पत्र लिखा जा रहा हैं उस दिन की दिनांक लिखी जाती हैं।

(3) पत्र प्राप्त करने वाले का पता - दिनांक अंकित करने के पश्चात् 'सेवा में' लिखकर जिसे पत्र भेजा जा रहा हैं उस अधिकारी का पद, कार्यालय का नाम, विभाग तथा स्थान लिखा जाता हैं।

(4) विषय- पता लिखने के पश्चात् विषय लिखकर इसके अन्तर्गत पत्र के मूल विषय को संक्षिप्त में लिखा जाता हैं।

(5) सम्बोधन- विषय के बाद में महोदय, आदरणीय, मान्यवर, माननीय आदि सम्बोधन का प्रयोग किया जाता हैं।

(6) विषय-वस्तु- सम्बोधन के बाद 'सविनय निवेदन यह हैं कि...... अथवा 'सादर निवेदन हैं कि .....' जैसे वाक्य से पत्र प्रारम्भ किया जाता। पत्र के इस मूल भाग में यदि कई बातों का उल्लेख किया जाता हैं, तो उसे अलग-अलग अनुच्छेद में लिखना चाहिए। मूल भाग अथवा विषय वस्तु का अन्त आभार सूचक वाक्य से किया जाता हैं; जैसे- 'मैं सदा आपका आभारी रहूँगा' आदि।

(7) अभिवादन के साथ समाप्ति- पत्र के मूल-विषय को लिखने के पश्चात् धन्यवाद लिखकर पत्र को समाप्त किया जाता हैं।

(8) अभिनिवेदन- आवेदन-पत्र के अन्त में बायीं ओर भवदीय, प्रार्थी, आपका आज्ञाकारी जैसे शिष्टतासूचक शब्द लिखकर तथा अपना नाम आदि लिखकर पत्र की समाप्ति की जाती हैं।

आवेदन-पत्र के प्रकार

आवेदन-पत्रों में किसी विषय अथवा समस्या को लेकर प्रार्थना की गई होती हैं। यह प्रार्थना; अवकाश प्राप्त करने से लेकर, मोहल्ले आदि की सफाई को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी, क्षेत्र डाक-व्यवस्था सुधारने के लिए डाकपाल तक से की जा सकती हैं। अतः प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसमें किसी भी प्रकार की असत्य बातों का उल्लेख न हों। आवेदन-पत्र कई प्रकार के हो सकते हैं, किन्तु जो पत्र-व्यवहार में लाए जाते हैं, वे मुख्यतः चार प्रकार के हैं-

(1) विद्यार्थियों के प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र- सामान्यतः स्कूल एवं कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा अपने अधिकारियों को लिखे जाने वाले पत्र इसी श्रेणी में आते हैं। छात्र-छात्राएँ अपने महाविद्यालय के प्राचार्य, विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियन्त्रक, शिक्षा सचिव, शिक्षा मन्त्री को पत्र के माध्यम से अपनी सामूहिक समस्याओं से अवगत कराते हैं।

इसी प्रकार छात्र-छात्राएँ विषय-परिवर्तन, समय-सारणी में परिवर्तन, चरित्र प्रमाण-पत्र, पहचान प्रमाण-पत्र प्राप्त करने, किसी प्रकार के दण्ड से मुक्ति के लिए, विकलांग होने पर लिपिक की व्यवस्था के लिए, मूल प्रमाण- पत्र खो जाने पर नए अथवा डुप्लीकेट प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को आवेदन-पत्र लिखते हैं।

(2) कर्मचारियों के आवेदन-पत्र- आवेदन-पत्र से तात्पर्य ऐसे आवेदन-पत्रों से हैं जिन्हें एक कर्मचारी अपने अवकाश की स्वीकृति के लिए, स्थानान्तरण के लिए, किसी राशि का भुगतान करने के लिए, क्षमा-याचना के लिए, वेतन-वृद्धि के लिए, अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए अथवा आवास सुविधा के लिए सम्बन्धित अधिकारी को लिखता हैं।

(3) नौकरी के लिए आवेदन-पत्र- नौकरी सम्बन्धी आवेदन-पत्र किसी विज्ञापन के सन्दर्भ में या ऐसे संस्थान अथवा कार्यालय जिनका आवेदन-प्रारूप पूर्व निर्धारित नहीं होता, उनमें आवेदन के लिए लिखे जाते हैं। इस लैटर अथवा पत्र में यह बताते हुए, कि मुझे ज्ञात हुआ हैं कि आपके संस्थान में ...... का पद रिक्त हैं, अथवा आपके द्वारा दिए हुए विज्ञापन के सन्दर्भ में मैं .....के पद हेतु आवेदन कर रहा हूँ। मेरी शैक्षिक योग्यता एवं कार्यानुभवों का विवरण इस पत्र के साथ संलग्न मेरे जीवन-वृत्त में उल्लिखित हैं।

(4) जन-साधारण के आवेदन-पत्र- जन-साधारण को सामन्य जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इन समस्याओं का सम्बन्ध पृथक्-पृथक् विभागों या कार्यालयों से हो सकता हैं। ऐसी समस्याओं के निवारण अथवा निराकरण के लिए सम्बन्धित अधिकारी को आवेदन-पत्र के माध्यम से प्रार्थना की जाती हैं। ऐसे पत्रों का सम्बन्ध व्यक्तिगत समस्या से भी हो सकता हैं एवं सार्वजनिक समस्या से भी। अतः हम कह सकते हैं कि ऐसे आवेदन-पत्रों की विषय-सीमा व्यापक होती हैं। बिजली, फोन, पानी, डाक-तार, स्वास्थ्य, बीमा आदि अनेक विषय ऐसे पत्रों का आधार हो सकते हैं।

विद्यार्थियों के प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र

विद्यार्थियों के प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र मुख्य रूप से अवकाश प्राप्त करने से लेकर, समय-सारणी में परिवर्तन, विषय-परिवर्तन, चरित्र प्रमाण-पत्र, दण्ड से मुक्ति आदि के लिए लिखे जाते हैं। प्रार्थना-पत्र लिखते समय विद्यार्थी को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसमें किसी प्रकार की असत्य बातों का उल्लेख न हो। यदि ऐसा हो जाता हैं, तो सम्बन्धित अधिकारी का आप पर से विश्वास तो उठता ही हैं, भविष्य में आप को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता हैं।

प्रार्थना-पत्र का प्रारूप

अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें बीमारी के कारण अवकाश लेने के लिए प्रार्थना की गई हो।

243, प्रताप नगर, ...............................(पत्र भेजने वाले का पता)

दिल्ली।

 

दिनांक 25 मई, 20XX...............................(दिनांक)

 

सेवा में,

श्रीमान प्रधानाचार्य जी,

सर्वोदय विद्यालय,

सी.सी.कालोनी,

दिल्ली।....................................... (पत्र प्राप्त करने वाले का पता)

 

विषय बीमारी के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र।.................. (विषय)

 

महोदय,............................... (सम्बोधन)

 

सविनय निवेदन यह हैं कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं '' का छात्र हूँ। मुझे कल रात से बहुत तेज ज्वर हैं। डॉक्टर ने मुझे दो दिन आराम करने की सलाह दी हैं। इस कारण मैं आज विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया, मुझे दो दिन (25 मई से 26 मई 20XX) का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।...............(विषय वस्तु)

 

धन्यवाद। ...............................(अभिवादन की समाप्ति)

 

आपका आज्ञाकारी शिष्य

नरेश कुमार

कक्षा-दसवीं ''

अनुक्रमांक-15............................... (अभिनिवेदन)

 

(1) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को विषय परिवर्तन के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।

 

457, शालीमार बाग,

दिल्ली।

 

दिनांक 8 जून, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान प्रधानाचार्य जी,

राजकीय इण्टर कॉलिज,

मोदीनगर,

गाजियाबाद।

 

विषय- विषय परिवर्तन हेतु।

 

महोदय,

सादर निवेदन यह हैं कि मैं आपके विद्यालय की ग्यारहवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैंने इसी विद्यालय से दसवीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की हैं। परीक्षा पास करने के बाद मैं असमंजसता की स्थिति में यह निर्णय नहीं कर पाया था कि मेरे लिए कला, विज्ञान अथवा गणित वर्ग में से कौन-सा वर्ग ठीक रहेगा। मैंने अपने साथियों के आग्रह और अनुकरण से कला वर्ग चुन लिया हैं।

 

लेकिन पिछले सप्ताह से मुझे यह अनुभव हो रहा हैं कि मैंने अपनी योग्यता के अनुकूल विषय का चयन नहीं किया हैं। मुझे गणित विषय में 98 अंक प्राप्त हुए हैं। अतः गणित वर्ग विषय होना मेरी प्रतिभा के विकास के लिए अधिक उपयुक्त रहेगा।

 

आशा हैं आप मेरी कला संकाय से गणित संकाय में स्थानान्तरण की प्रार्थना स्वीकार करेंगे। मैं इसके लिए सदा आपका आभारी रहूँगा।

 

धन्यवाद।

 

आपका आज्ञाकारी शिष्य

उमाशंकर

कक्षा- ग्यारहवीं ''

अनुक्रमांक-26

 

(2) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति प्राप्त कराने का आग्रह करते हुए प्रार्थना-पत्र लिखिए।

 

424, शालीमार बाग,

दिल्ली।

 

दिनांक 18 जुलाई, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान प्रधानाचार्य,

आदर्श माध्यमिक विद्यालय,

सिद्धार्थ नगर,

आगरा।

 

विषय- छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।

 

मान्यवर,

सविनय निवेदन यह हैं कि मैं दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं सदा विद्यालय में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होता हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं लगातार प्रथम आ रहा हूँ। इसके अतिरिक्त मैं भाषण-प्रतियोगिताओं, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में कई बार विद्यालय के लिए जोनल एवं राष्ट्रीय स्तर पर इनाम जीत कर लाया हूँ। खेल-कूद में भी मेरी गहन रुचि हैं। मैं स्कूल की क्रिकेट टीम का कप्तान भी हूँ। सभी अध्यापक मेरी प्रशंसा करते हैं।

 

मुझे अत्यन्त दुःख के साथ आपको बताना पड़ रहा हैं कि मेरे पिताजी को एक असाध्य रोग ने आ घेरा हैं जिसके कारण घर की आर्थिक दशा डगमगा गई हैं। पिताजी स्कूल से मेरा नाम कटवाना चाहते हैं। वे मेरा मासिक-शुल्क देने में असमर्थ हैं। मैंने अपनी पाठ्य-पुस्तकें तो जैसे-तैसे खरीद ली हैं, लेकिन शेष व्यय के लिए आपसे नम्र निवेदन हैं कि मुझे तीन सौ रुपये मासिक की छात्रवृत्ति देने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से चला सकूँ। यह छात्रवृत्ति आपकी मेरे प्रति विशेष कृपा होगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं खूब मेहनत से पढ़ूँगा और इस स्कूल का नाम रोशन करूँगा।

 

धन्यवाद।

 

आपका आज्ञाकारी शिष्य

विशाल

कक्षा-दसवीं

अनुक्रमांक-15

 

(3) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए प्रार्थना की गई हो।

 

642, मुखर्जी नगर,

दिल्ली।

 

दिनांक 21 जुलाई, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान प्रधानाचार्य,

रा.उ.मा. बाल विद्यालय,

गणेशपुर,

रुड़की।

 

विषय- कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र।

 

महोदय,

सविनय निवेदन हैं कि हम दसवीं कक्षा के छात्र यह अनुभव करते हैं कि आज के कम्प्यूटर युग में प्रत्येक व्यक्ति को कम्प्यूटर की जानकारी होनी चाहिए। हम देख भी रहे हैं कि दिनोंदिन कम्प्यूटर शिक्षा की माँग बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए भी कम्प्यूटर का ज्ञान होना अपरिहार्य हैं।

 

अतः आपसे प्रार्थना हैं कि कृपा करके हमारे विद्यालय में कम्प्यूटर शिक्षा आरम्भ करें। हम आपके प्रति कृतज्ञ होंगे। आशा हैं, आप हमारे अनुरोध को स्वीकार करेंगे।

धन्यवाद।

 

प्रार्थी

क.ख.ग.

कक्षा- दसवीं ''

 

(4) अपने विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण-पत्र लेने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

 

424, कीर्ति नगर

दिल्ली।

 

दिनांक 26 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान प्रधानाचार्य,

रामजस कॉलेज,

दिल्ली विश्वविद्यालय,

नई दिल्ली।

 

विषय- चरित्र प्रमाण-पत्र लेने हेतु आवेदन-पत्र।

 

महोदय,

सविनय निवेदन हैं कि मैंने आपके विश्वविद्यालय से वर्ष 20XX में बी.ए.हिन्दी (ऑनर्स) की परीक्षा उत्तीर्ण की हैं। अब मैं महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक, हरियाणा से बी.एड. करने जा रहा हूँ। चूँकि मेरी काउन्सलिंग हो गई हैं, मुझे मेरे पसन्दीदा कॉलेज में प्रवेश के लिए पंजीकरण पर्ची भी दे दी गई हैं। मैंने सम्बन्धित कॉलेज से सम्पर्क किया, तो पता चला कि मुझे यहाँ स्नातक तक के प्रमाण-पत्रों सहित चरित्र-प्रमाण-पत्र भी जमा कराना होगा।

अतः आप से निवेदन हैं कि आप मुझे जल्द से जल्द मेरा चरित्र प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें, ताकि मैं समय रहते बी.एड में प्रवेश ले सकूँ।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय

हस्ताक्षर......

भवेश कुमार

 

उत्तर के रूप में प्राप्त चरित्र प्रमाण-पत्र

........................दिनांक 28 अप्रैल, 20XX

 

रामजस कॉलेज

दिल्ली विश्वविद्यालय

 

प्रमाणित किया जाता हैं कि श्री सुनील कुमार सुपुत्र श्री विवेकानन्द, जो कि वर्ष 20XX से इस विश्वविद्यालय में बी.ए.हिन्दी (ऑनर्स) में अध्ययनरत् हैं, का अपने अध्यापकों, सहपाठियों एवं अन्य के प्रति व्यवहार अच्छा रहा हैं। उनके चरित्र में किसी प्रकार का दोष नहीं हैं।

हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।

 

हस्ताक्षर......

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

(प्रधानाचार्य)

 

(5) शिष्य द्वारा अपने पुराने अध्यापक को अपनी पदोन्नति के विषय में व उनका कुशल मंगल पूछने के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।

 

129 वजीरपुर,

नई दिल्ली।

 

दिनांक 5 जुलाई, 20XX

 

आदरणीय गुरु जी,

सादर प्रणाम।

आपको पत्र लिखकर मैं स्वयं को धन्य मान रहा हूँ। लम्बे समय बाद मैंने आपको पत्र लिखा हैं। इस पत्र के माध्यम से मैं आपको कुछ अच्छी खबर देना चाहता हूँ और आपका आशीर्वाद भी प्राप्त करना चाहता हूँ।

आपको यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता होगी कि मेरी पदोन्नति सेल्स मैनेजर (बिक्री प्रबन्धक) के पद पर हो गई हैं। मैंने अपने जीवन में जो कुछ हासिल किया हैं, उसमें आपका महत्त्वपूर्ण योगदान हैं। विद्यार्थी जीवन में आपके द्वारा प्रदान की गई शिक्षा आज मेरे जीवन में अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हो रही हैं। शीघ्र ही किसी विशेष अवसर पर मैं आपसे मिलने व आपका आशीर्वाद पाने के लिए आऊँगा।

आशा हैं आप सकुशल होंगे। क्या आपने अपने मोतियाबिंद का इलाज करवा लिया हैं? अगर मैं आपके लिए कुछ करने योग्य हूँ, तो आप मुझे अवश्य बताएँ।

 

आदर सहित,

आपका शिष्य,

दिनेश

कर्मचारियों के आवेदन-पत्र

इसके अन्तर्गत निम्न पत्रों को सम्मिलित किया गया हैं-

(1) अनुभव प्रमाण-पत्र प्राप्त करने सम्बन्धी आवेदन-पत्र

(2) स्थानान्तरण सम्बन्धी आवेदन-पत्र

(3) त्याग पत्र सम्बन्धी आवेदन-पत्र

(4) कर्मचारी सम्बन्धी अन्य पत्र (अवकाश लेने के सम्बन्ध में, पदोन्नति के सम्बन्ध में, सम्पादक के पद हेतु, संवाददाता के पद हेतु, सेल्समैन के पद हेतु।)

(1) अनुभव प्रमाण-पत्र प्राप्त करने सम्बन्धी आवेदन-पत्र

जब आप एक कम्पनी अथवा संस्था को छोड़कर किसी दूसरी कम्पनी में नौकरी के लिए आवेदन करते हैं, तब यह नई कम्पनी आपसे पूर्व अनुभवों के प्रमाण-पत्र की माँग करती हैं। यह अनुभव प्रमाण-पत्र आपको वह कम्पनी अथवा संस्था देती हैं, जहाँ आपने पूर्व में अपनी सेवाएँ दी हैं। अनुभव प्रमाण-पत्र को प्राप्त करने के लिए कम्पनी/संस्था के किसी मुख्य कार्यकर्ता या मैनेजर को पत्र लिखा जाता हैं।

 

(1) आप अपने कार्यालय में प्रूफ रीडर के पद पर कार्यरत हैं, वहाँ से अनुभव प्रमाण-पत्र लेने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

 

452, सुभाष नगर,

मेरठ।

 

दिनांक 8 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान व्यवस्थापक महोदय,

दैनिक जागरण,

मोहकमपुर,

मेरठ।

 

विषय- अनुभव प्रमाण-पत्र लेने हेतु आवेदन-पत्र।

 

महोदय,

मैं आपके प्रतिष्ठित संस्थान में प्रूफ रीडर के पद पर मार्च 20XX से कार्यरत हूँ। मैंने गत दिनों साहित्य अकादमी, दिल्ली में प्रूफ रीडर के पद हेतु आवेदन किया था। कल मेरे पास वहाँ से 'निमन्त्रण-पत्र' (कॉल लैटर) आया हैं। पत्र में मुझसे मेरी शैक्षिक योग्यताओं के प्रमाण-पत्रों की मूल प्रति एवं पिछले कार्यों का अनुभव प्रमाण-पत्र लेकर 15 अप्रैल, 20XX को साहित्य अकादमी के दफ्तर में रिपोर्ट करने को कहा गया हैं।

 

मैंने अपनी शैक्षिक योग्यताओं की मूल प्रति तो सँभाल कर रख ली, किन्तु मेरे पास अनुभव प्रमाण-पत्र नहीं हैं। अतः आपसे निवेदन हैं कि आप मुझे 15 अप्रैल, 20XX से पहले मेरा अनुभव प्रमाण-पत्र देकर मुझे अनुगृहीत करें।

 

धन्यवाद।

भवदीय

हस्ताक्षर ......

अरुण कुमार

कार्ड नं. 1244

 

प्रूफ रीडर के पद पर कार्यरत अरुण कुमार को अनुभव प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कीजिए।

अनुभव प्रमाण-पत्र का नमूना

................. दिनांक 12 अप्रैल, 20XX

 

दैनिक जागरण

राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार-पत्र

 

प्रमाणित किया जाता हैं कि श्री अरुण कुमार पुत्र श्री हरिलाल, पता-एच 503, जहाँगीरपुरी, दिल्ली, इस संस्था में मार्च, 20XX से प्रूफ रीडर के पद पर कार्यरत हैं।

श्री अरुण कुमार एक परिश्रमी एवं आत्मविश्वासी युवक हैं। कार्यकाल के दौरान उनका कार्य सन्तोषजनक रहा हैं।

हम उनके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं।

 

हस्ताक्षर ......

व्यवस्थापक

(2) स्थानान्तरण सम्बन्धी आवेदन-पत्र

अत्यधिक परिश्रम एवं कोशिशों के बाद नौकरी मिल तो जाती हैं, किन्तु संस्थान यदि मन-मुताबिक दूरी से ज्यादा दूर हैं, आने-जाने में परेशानी होती हैं, या फिर परिवार से दूर रहकर नौकरी करनी पड़ रही हैं, तब इस नौकरी से स्थानान्तरण की बाबत सोचा जाता हैं। नौकरी से ट्रान्सफर (स्थानान्तर) लेने के लिए जो पत्र लिखा जाता हैं, वही स्थानान्तरण सम्बन्धी आवेदन-पत्र कहलाता हैं।

 

(1) शारीरिक रूप से स्वस्थ न होने की स्थिति से अवगत कराते हुए शिक्षा निर्देशक को स्थानान्तरण कराने हेतु पत्र लिखिए।

 

ए-210, प्रीतमपुरा,

कुण्डली,

सोनीपत।

 

दिनांक 26 मई, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान निदेशक,

शिक्षा निदेशालय,

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र,

दिल्ली सरकार

नई दिल्ली।

 

विषय- स्थानान्तरण सम्बन्धी आवेदन-पत्र।

 

महोदय,

सविनय निवेदन यह हैं कि मैं रा.उ.मा. बालिका विद्यालय, करोलबाग, दिल्ली में टी.जी.टी. अंग्रेजी के पद पर कार्यरत हूँ। मैं सोनीपत, हरियाणा में रहती हूँ एवं एक पैर से विकलांग हूँ। अपने घर से करोलबाग स्थित स्कूल पहुँचने में मेरा काफी समय नष्ट हो जाता हैं। कई बार स्कूल पहुँचने में देरी भी हो जाती हैं। यह देरी कभी ट्रेन के समय पर न आने के कारण होती हैं, तो कभी भीड़ के कारण ट्रेन छूट जाने से।

अतः मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि मेरा स्थानान्तरणसोनीपत के पास नरेला, दिल्ली के किसी स्कूल में कर दिया जाए। मैंने वहाँ के एक स्कूल में पता किया हैं, टी.जी.टी. अंग्रेजी का पद रिक्त भी हैं। चूँकि नरेला मेरे घर से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं, अतः स्कूल पहुँचने में मुझे आसानी होगी।

आशा करती हूँ कि आप मेरी मजबूरियों को ध्यान में रखकर मेरा स्थानान्तरण कर मुझे अनुगृहीत करेंगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीया

हस्ताक्षर ......

रीना कुमारी

(टी.जी.टी. अंग्रेजी)

(3) त्याग पत्र सम्बन्धी आवेदन-पत्र

प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जहाँ एक नौकरी मिल पाना मुश्किल हैं, वहीं बहुत-से लोग एक नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी के लिए कोशिश करते रहते हैं। जब यह दूसरी नौकरी मिल जाती हैं, तब इसे ग्रहण करने से पूर्व एक व्यक्ति को अपनी पहली कम्पनी अथवा संस्थान में एक त्याग-पत्र, जिसे अंग्रेजी में 'रेजिगनेशन लैटर' कहा जाता हैं, देना पड़ता हैं। इस पत्र में सम्बन्धित व्यक्ति द्वारा उन बातों का उल्लेख किया जाता हैं, जिस कारण से वह नौकरी छोड़ रहा होता हैं।

 

त्याग-पत्र सम्बन्धी आवेदन पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-

 

(1) महाविद्यालय में स्थायी चयन हो जाने के कारण अपने संस्थान को इस स्थिति से अवगत कराते हुए सेवा-परित्याग पत्र लिखिए।

 

464, सोनीपत,

हरियाणा।

 

दिनांक 15 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान प्रधानाचार्य,

भगवान महावीर कॉलेज ऑफ एजुकेशन,

सोनीपत,

हरियाणा।

 

विषय- सेवा-परित्याग सम्बन्धी पत्र।

 

महोदय,

सविनय निवेदन यह हैं कि मैं आपके संस्थान में 'तकनीकी शिक्षा' के मेहमान प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हूँ। किन्तु अब मेरा चयन 'रामजस कॉलेज ऑफ एजुकेशन', सोनीपत में स्थायी रूप से हो गया हैं। अतः अब मैं आपके कॉलेज में अपनी सेवाएँ देने में असमर्थ हूँ।

मैं अब अपने पद से इस्तीफा देते हुए, आपको अपना त्याग-पत्र सौंप रहा हूँ। कृपया मुझे शीघ्रातिशीघ्र कार्य-भार से मुक्त करने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी नई नौकरी का कार्यभार सँभाल सकूँ।

आपके सहयोग के लिए धन्यवाद।

 

भवदीय

हस्ताक्षर ......

रामकुमार गुप्ता,

 

(4) कर्मचारी सम्बन्धी अन्य पत्र

(1) अपनी कम्पनी के प्रबन्ध निदेशक को पत्र लिखिए, जिसमें आपने अपनी पदोन्नति के लिए प्रार्थना की हैं।

 

145, मुखर्जी नगर,

दिल्ली।

 

दिनांक 12 मार्च, 20XX

 

सेवा में,

प्रबन्ध निदेशक,

अरिहन्त पब्लिकेशन्स (इण्डिया) लिमिटेड,

दरियागंज,

दिल्ली।

 

विषय- पदोन्नति के सम्बन्ध में।

 

महोदय,

सादर निवेदन यह हैं कि मैं आपकी प्रतिष्ठित कम्पनी में एक वर्ष से कार्यरत् हूँ। इस एक वर्ष के कार्य के दौरान मेरे द्वारा किए गए कार्य में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आई। मैं सभी प्रोजेक्ट में समय की मांग के अनुरूप अतिरिक्त समय भी देती हूँ तथा नियमानुसार व प्रतिबद्धता के साथ समय पर कार्य पूर्ण करती हूँ। कम्पनी को मेरे व्यवहार से कभी कोई शिकायत नहीं हुई। मैं अपने कार्य के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हूँ तथा आगे भी इसी समर्पण के साथ कम्पनी के सभी नियमों का पालन करूँगी एवं अपने कार्य को और अधिक निष्ठापूर्वक करने का प्रयास करूँगी।

अतः आपसे प्रार्थना हैं कि मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए मुझे उचित पदोन्नति प्रदान की जाए जिससे मैं अपना कार्य और अधिक लगन व निष्ठा के साथ कर सकूँ।

 

धन्यवाद।

 

भवदीया

ऋतिका

 

नौकरी प्राप्त करने सम्बन्धी आवेदन-पत्र

आज प्रत्येक व्यक्ति एक प्रतिष्ठित नौकरी चाहता हैं। नौकरी प्राप्त करने के लिए उसे कई परीक्षाओं व साक्षात्कार का सामना करना पड़ता हैं। विभिन्न अख़बारों, इन्टरनेट आदि पर दी जाने वाली सूचनाओं अथवा विज्ञापन के माध्यम से नौकरी प्राप्त करने के लिए उस कार्यालय अथवा विभाग के नाम व्यक्ति आवेदन-पत्र भेजता हैं, जिसके अन्तर्गत सम्बन्धित व्यक्ति के जीवन का ब्यौरा; जैसे- नाम, पता, जन्म-तिथि, प्राप्त की गई शिक्षा का विवरण अर्थात् शैक्षिक योग्यता, कार्यानुभव आदि तमाम जानकारियों को आवेदन-पत्र में वर्णित किया जाता हैं।

साथ ही अपने समस्त प्रमाण-पत्र व कार्यानुभव आदि की एक प्रति आवेदन-पत्र के साथ संलनित की जाती हैं। विभिन्न सरकारी नौकरियों; जैसे- कर्मचारी चयन आयोग, दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड आदि में आवेदन-पत्र का प्रारूप पूर्व-निर्धारित होता हैं; जिसमें व्यक्ति को आवेदन-पत्र में पूछी गई सभी जानकारियों को भरना होता हैं।

नौकरी प्राप्त करने के दौरान लिखे जाने वाले आवेदन-पत्र के कुछ उदाहरण दिए गए हैं।

(1) दैनिक हिन्दुस्तान में संवाददाता के पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

 

53, निरंकारी कालोनी,

दिल्ली।

 

दिनांक 21 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान सम्पादक,

दैनिक हिन्दुस्तान,

के.जी. मार्ग,

नई दिल्ली।

 

विषय- संवाददाता के पद हेतु आवेदन-पत्र।

 

महोदय,

दिनांक 20 अप्रैल, 20XX को प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान के अंक में आपके द्वारा संवाददाता के पद हेतु विज्ञापन दिया गया था। मैं इस पद के लिए आवेदन कर रहा हूँ। मेरी शैक्षणिक योग्यताओं तथा कार्यानुभवों का विवरण इस प्रकार हैं-

शैक्षणिक योग्यताएँ-

(1) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से वर्ष 20XX में हिन्दी साहित्य में स्नातक की उपाधि।

(2) जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली से वर्ष 20XX में पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा।

अन्य विवरण-

अपने विद्यार्थी जीवन में मैंने सांस्कृतिक-साहित्यिक गतिविधियों व खेल-कूद में सक्रिय भाग लिया हैं। मैंने संस्कृति, कला व सामाजिक विषयों पर अनेक लेख भी लिखे हैं। विभिन्न समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं में मेरे ये लेख छपे हैं, जिनमें से कुछ की फोटो प्रतियाँ आवेदन-पत्र के साथ संलग्न हैं।

मैं आपके प्रतिष्ठित व लोकप्रिय समाचार-पत्र में कार्य करना चाहता हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास हैं कि अवसर मिलने पर मैं परिश्रम, लगन और निष्ठा के साथ कार्य करते हुए समाचार-पत्र को और जनोपयोगी बनाने में योगदान दे सकूँगा।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय

हस्ताक्षर......

मणिशंकर ओझा

 

(2) शहनाज हर्बल कॉस्मैटिक्स प्रा. लि., में सेल्समैन के पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

 

205, सुभाष बाजार,

कोलकाता।

 

दिनांक 31 जून,

 

सेवा में,

श्रीमान प्रबन्धक,

शहनाज हर्बल कॉस्मैटिक्स प्रा. लि.,

वॉल स्ट्रीट,

कोलकाता।

 

विषय- सेल्समैन के पद के लिए आवेदन-पत्र।

 

महोदय,

मुझे दिनांक 30 जून, 20XX के अंग्रेजी दैनिक 'टाइम्स ऑफ इण्डिया' में प्रकाशित विज्ञापन द्वारा ज्ञात हुआ कि आपकी फर्म में सेल्समैन के कई पद रिक्त हैं। मैं इस पद के लिए आवेदन करना चाहता हूँ। मेरी शैक्षिक योग्यताओं एवं कार्यानुभवों का विवरण इस प्रकार हैं-

(1) बी.एस-सी (बायोलॉजी)।

(2) सेल्स एवं मार्केटिंग में एक वर्षीय डिप्लोमा।

(3) 'केयर योरसेल्फ' फर्म में कॉस्मैटिक उत्पादों की बिक्री का डेढ़ वर्ष का अनुभव।

मेरे हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर मजबूत पकड़ हैं। अपने ग्राहक के साथ किस तरह पेश आना हैं, यह मैं बाखूबी जानता हूँ। मुझे विश्वास हैं कि आप मुझे सेवा का एक अवसर अवश्य देंगे।

धन्यवाद।

 

भवदीय

हस्ताक्षर......

मुकेश कुमार

(1) जनसाधारण सम्बन्धी आवेदन-पत्र

इसके अन्तर्गत निम्न पत्रों को सम्मिलित किया गया हैं-

 

(1) प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ. आई. आर.) सम्बन्धी आवेदन-पत्र

(2) सूचना का अधिकार (आर. टी. आई.) सम्बन्धी आवेदन-पत्र

(3) टेलीफोन/मोबाइल फोन कनेक्शन एवं टेलीफ़ोन सही कराने सम्बन्धी आवेदन-पत्र

(4) जनसाधारण सम्बन्धी अन्य पत्र (मोहल्ले में सफाई के लिए, पेयजल की आपूर्ति के लिए, इलाके में डाक व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए, ग्रहकर बिल ठीक करने हेतु, आयकर से पूर्ण मुक्ति हेतु, मुख्यमन्त्री से तात्कालिक सहायता हेतु आदि)

(1) प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ. आई. आर.) सम्बन्धी आवेदन-पत्र

प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ. आई. आर.) की जरूरत तब पड़ती हैं, जब मामला 'पुलिस केस' से सम्बन्धित हो। दीवानी एवं फौजदारी एवं अन्य आपराधिक मामलों में पुलिस स्टेशन में जो रिपोर्ट लिखवाई जाती हैं, वह एफ. आई. आर. की ही श्रेणी में आती हैं।

हालाँकि पुलिस थाने में एफ. आई. आर दर्ज करवाना आसान नहीं होता। कई बार पुलिस निर्धारित प्रारूप में एफ. आई. आर. दर्ज करने की बजाय एक अतिरिक्त कागज पर पीड़ित की समस्याएँ लिखकर अथवा लिखवाकर उसकी प्रति पर थाने की मोहर लगाकर, फरियादी को दे देती हैं।

इस तरह के अधिकांश उदाहरण मोबाइल, कैमरा, बैग अथवा पर्स चोरी के मामलों में पेश आते हैं। यदि, कुछ छोटी वारदातों को छोड़ दें, तो अधिकांश घटनाओं में पुलिस एफ. आई. आर. दर्ज कर त्वरित कार्यवाही करती हैं। क्योंकि एफ. आई. आर. दर्ज होने के बाद यह बताना पुलिस की क़ानूनी जवाबदेही बन जाती हैं कि सम्बन्धित मामले में क्या प्रगति हुई अथवा हो रही हैं।

एफ. आई. आर. दर्ज करवाने के लिए यह जानना जरूरी होता हैं कि मामला अथवा घटना किस थाना क्षेत्र के अन्तर्गत आता हैं।

एफ. आई. आर. दर्ज करवाने सम्बन्धी आवेदन-पत्रों के उदाहरण आगे दिए गए हैं-

(1) बस स्टैण्ड के पास आवारा लड़कों के व्यवहार को बताते हुए तथा उनके खिलाफ छेड़खानी के विरुद्ध एफ. आई. आर. दर्ज करवाने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

 

108, भवानी जंक्शन,

कोलकाता।

 

दिनांक 28 जून, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान थानाध्यक्ष महोदय,

भवानी जंक्शन,

कोलकाता।

 

विषय- छेड़खानी के विरुद्ध एफ. आई. आर. दर्ज करवाने के सम्बन्ध में।

 

महोदय,

सविनय निवेदन यह हैं कि मैं भवानी जंक्शन में रहने वाली एक कॉंलेज छात्रा हूँ। जब भी मैं घर से कॉलेज के लिए निकलती हूँ, अक्सर बस स्टैण्ड के पास कुछ आवारा किस्म के लड़के मुझ पर कमेंट करते हैं। एक-दो बार मैंने उन्हें ऐसा न करने को कहा, किन्तु उन पर कोई असर नहीं हुआ।

मैंने इस बारे में अपने माता-पिता से बात की, तो उन्होंने इसकी लिखित शिकायत थाने में करने की सलाह दी। मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि आप उन लड़कों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाकर, मुझे हो रही मानसिक समस्या से निजात दिलाएँ।

आशा हैं, आप मेरी समस्या पर त्वरित कार्यवाही करेंगे।

धन्यवाद।

 

प्रार्थी

हस्ताक्षर......

निशा

 

(2) घर में चोरी हो जाने की एफ.आई.आर. दर्ज करवाने सम्बन्धी आवेदन-पत्र लिखिए।

 

42/1, शालीमार बाग,

दिल्ली।

 

दिनांक 17 जून, 20XX

 

सेवा में

श्रीमान थानाध्यक्ष महोदय,

शालीमार बाग,

दिल्ली।

 

विषय- घर में हुई चोरी की रिपोर्ट लिखवाने हेतु।

 

महोदय,

कल रात मेर घर में चोरी हो गई। चोर मेरे मकान का ताला तोड़कर घर में रखा हजारों रुपये का सामान उठा ले गए। जिस समय यह वारदात हुई, मैं अपने परिवार के साथ एक शादी-समारोह में शामिल होने गया था। देर रात को जब हम सभी घर वापस लौटे, तो देखा मकान का ताला टूटा हुआ था। हम दौड़कर घर में गए तब वहाँ देखा कि सारा सामान अस्त-व्यस्त पड़ा था। आलमारी का ताला टूटा हुआ था, आलमारी में रखी माँ की सोने की अँगूठी गायब थी। घर में रखा टेलीविजन और बाहर खड़ी मेरी साइकिल भी चोर उठा ले गए हैं।

चोरी की इस वारदात से हमें हजारों रुपयों का नुकसान हुआ है। मेरा पूरा परिवार सदमे में हैं। आपसे निवेदन है कि आप मेरी चोरी की इस रिपोर्ट को दर्ज कर जल्द से जल्द चोरों को पकड़ हमें हमारा चोरी हो गया सामान वापस दिलवाएँ।

 

धन्यवाद।

 

प्रार्थी

हस्ताक्षर ......

रमेश चौहान

 

(2) सूचना का अधिकार (आर.टी.आई.) सम्बन्धी आवेदन-पत्र

सूचना का अधिकार अर्थात राइट टू इन्फॉरमेशन (आर.टी.आई.) को लोकतन्त्र का पाँचवाँ स्तम्भ माना जाता है, जिसका प्रयोग आम आदमी देश को शोषण एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में कर सकता है।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 नागरिकों को किसी 'लोक प्राधिकरण' से सूचना प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। इस अधिनियम के अनुसार ऐसी सूचना जिसे संसद अथवा राज्य विधानमण्डल को देने से इनकार नहीं किया जा सकता, उसे किसी व्यक्ति को देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। भारतीय नागरिकों को सूचना सीडी, फ्लॉपी, टेप, विडियो कैसेट, इलेक्ट्रॉनिक अथवा प्रिंट किसी भी रूप में प्राप्त करने का अधिकार है। सूचना माँगने वाले आवेदक को 10 रुपया का निर्धारित शुल्क, माँग पत्र, बैंकर अथवा भारतीय पोस्टल ऑर्डर के रूप में लोक प्राधिकरण के लेखा अधिकारी के नाम भेजकर रसीद प्राप्त कर सकते हैं। केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना की प्राप्ति तीस दिनों के भीतर हो जाती है।

निर्धारित समय में सूचना उपलब्ध न होने पर आवेदक प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है।

वर्तमान समय में आम जनता ढेरों सूचनाएँ; जैसे- विभाग द्वारा आम जनता के हित में क्या काम हो रहा है, कहाँ, कितना खर्च हो रहा है, कार्य में कितनी प्रगति हुई है यह सब जानकारी प्राप्त करना आर.टी. आई. की सहायता से ही सम्भव हुआ है।

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए लिखे जाने वाले आवेदन-पत्रों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं-

 

(1) खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन-पत्र लिखिए।

 

140, प्रताप विहार,

दिल्ली।

 

दिनांक 12 जून, 20XX

 

सेवा में,

जन सूचना अधिकारी,

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग,

दिल्ली।

 

विषय- सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत आवेदन।

 

महोदय,

(1) मैंने अपने राशन कार्ड के लिए 30 दिसम्बर, 20XX को विधिवत् आवेदन किया था। कृपया मेरे आवेदन पर अब तक की गई कार्यवाही की दैनिक रिपोर्ट दें।

जैसे- आवेदन कब और किस अधिकारी के पास पहुँचा, कब तक यह उसके पास रहा, उसने क्या कदम उठाए ?

(2) मेरा राशन कार्ड कितने दिन में बन जाना चाहिए था?

(3) उन अफसर-कर्मचारियों के नाम बताएँ, जिन्हें आवेदन पर कार्यवाही करनी चाहिए थी, किन्तु उन्होंने नहीं की।

(4) अपना काम न करने और मुझे मानसिक रूप से परेशान करने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएँगे?

(5) मेरा कार्ड कब तक बन जाएगा?

(6) कृपया उन रिकॉर्ड्स की छायाप्रति दें, जिनमें इस तरह के आवेदन का ब्यौरा रखा जाता है।

(7) मेरे आवेदन के बाद आए किसी आवेदन पर मुझसे पहले यदि कार्यवाही की गई, तो उसका कारण क्या है?

(8) बारी आने से पहले यदि किसी आवेदन पर कार्यवाही की गई हो, तो क्या उसकी जाँच होगी और कब तक?

मैंने आवेदन-पत्र के साथ सूचना माँगने का निर्धारित शुल्क 'भारतीय पोस्टल ऑर्डर' के रूप में संलग्न कर दिया है।

 

धन्यवाद।

 

आवेदक के हस्ताक्षर......

कृष्ण चन्द्र

कार्ड की पावती संख्या-151/ग,

 

(3) टेलीफोन/मोबाइल फोन कनेक्शन सम्बन्धी आवेदन-पत्र

लैण्डलाइन फोन हो या मोबाइल फोन, नया कनेक्शन लेने के लिए नेटवर्क सेवा प्रदाता कम्पनी को एक आवेदन-पत्र लिखा जाता है तथा उसके साथ ही आवेदन-फार्म भी भरा जाता है। इसके अन्तर्गत कभी-कभी खराब टेलीफोन की मरम्मत हेतु प्रबन्धक को पत्र भी लिखे जाते हैं। इस सन्दर्भ में कुछ उदाहरण दिए गए हैं-

 

(1) टेलीफोन विभाग के प्रबन्धक को मोबाइल फोन का सिम नष्ट हो जाने पर पुनः उसी नम्बर का सिम प्रदान करने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

 

454, अधोईवाला,

देहरादून (उत्तराखण्ड)।

 

दिनांक 26 फरवरी, 20XX

 

सेवा में,

श्रीमान प्रबन्धक,

वोडाफोन,

अधोईवाला,

देहरादून (उत्तराखण्ड)।

 

विषय- मोबाइल सिम नष्ट हो जाने पर पुनः उसी नम्बर का सिम प्रदान करने हेतु।

 

महोदय,

मैं कल अपने मोबाइल फोन नम्बर 9567863XXX से किसी मित्र से बात कर रहा था कि अचानक असुविधावश मोबाइल फोन मेरे हाथ से छूटा और पास ही रखी पानी की बाल्टी में जा गिरा।

मैंने तुरन्त हाथ डालकर मोबाइल फोन बाल्टी से बाहर निकाला, किन्तु तब तक वह पानी से पूरी तरह भीग चुका था। मैंने मोबाइल की बैटरी निकालकर उसे धूप में सूखने के लिए रख दिया। थोड़ी देर बाद जब मोबाइल फोन में बैटरी लगाकर उसे पुनः चालू करने की कोशिश की, तब वह नहीं चला। शायद मोबाइल खराब हो चुका था।

यह जानने के लिए की, किन्तु कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। मोबाइल में नेटवर्क सिग्नल नहीं दिखाई दे रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे पानी में गिरने के कारण सिम भी नष्ट हो गया है।

अतः आपसे निवेदन है कि आप मुझे उक्त नम्बर का सिम पुनः आवन्टित करें। ताकि मुझे इस नम्बर की वजह से किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

 

सधन्यवाद।

 

प्रार्थी

हस्ताक्षर......

जगन्नाथ

 

 

(2) अपनी मोबाइल नेटवर्क कम्पनी को नेटवर्क सम्बन्धी समस्याओं से अवगत करवाते हुए मोबाइल नम्बर पोर्टेबिलिटी के तहत मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाता कम्पनी बदलने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

 

254, आर.के. पुरम

नई दिल्ली।

 

दिनांक 26 मई, 20XX

 

सेवा में,

एरिया प्रबन्धक,

..... (मोबाइल कम्पनी का नाम)

नई दिल्ली।

 

विषय- नेटवर्क सेवा प्रदाता कम्पनी बदलने हेतु।

 

महोदय,

मैं...... मोबाइल नेटवर्क प्रदाता कम्पनी का पिछले दो वर्ष से ग्राहक हूँ। मैंने जब से यह कम्पनी चुनी है, तब से मुझे नेटवर्क सम्बन्धी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कभी स्पष्ट आवाज की समस्या, तो कभी बात करते-करते नेटवर्क का गायब हो जाना। सन्देश भी त्वरित गति से नहीं पहुँच पाते।

मैं इस कम्पनी को बहुत पहले ही बदल देना चाहता था, किन्तु मेरा मोबाइल नम्बर इतने ज्यादा लोगों के पास है, कि इस नम्बर को बदल पाना मेरे लिए नामुमकिन है।

किन्तु जब से मैंने मोबाइल नम्बर पोर्टेबिलिटी यानि बिना नम्बर बदले अपनी मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाता कम्पनी को बदलने की स्कीम के बारे में सुना है, तभी से मेरा मन अपनी वर्तमान मोबाइल कम्पनी को बदलने को हो रहा है। परन्तु इसे बदलकर किस कम्पनी को ग्रहण करूँ, इसी सोच में था कि मेरे दोस्तों एवं परिचितों ने आपकी कम्पनी को चुनने की सलाह दी।

मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि कृपया मुझे बताएँ कि मुझे बिना नम्बर बदले, आपकी मोबाइल कम्पनी की सेवा लेने के लिए क्या-क्या औपचारिकताएँ पूरी करनी होंगी।

आशा है, आप मुझे शीघ्र ही इस सम्बन्ध में जानकारी प्रेषित कर, मेरी समस्याओं का निदान करेंगे।

 

सधन्यवाद।

 

प्रार्थी

हस्ताक्षर......

(कृष्ण कुमार)

(4) जनसाधारण सम्बन्धी अन्य पत्र

(1) आपके मोहल्ले में सफाई की व्यवस्था न होने के कारण स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए, जिसमें सफाई का उचित प्रबन्ध करने की प्रार्थना की गई हो।

 

421, विवेक विहार,

गाजियाबाद।

 

विषय- मोहल्ले में सफाई के लिए प्रार्थना-पत्र।

 

महोदय,

मैं आपका ध्यान विवेक विहार स्थित एच ब्लॉक की शोचनीय अवस्था की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। इस ब्लॉक में सफाई की उचित व्यवस्था न होने के कारण स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक हो गई है। लम्बे समय से यहाँ नगर का कोई भी कर्मचारी सफाई हेतु नहीं आया है। स्थान-स्थान पर कचरे के ढेर लगे हैं, जिनमें सड़न होने से चारों ओर बदबू फैल रही है। नालियाँ भी भरी पड़ी हैं। गन्दा पानी सड़कों पर भी बिखरा हुआ है। कचरे पर भिनभिनाती मक्खियाँ और मच्छर गम्भीर बीमारी को आमन्त्रण दे रहे हैं।

अतः आपसे निवेदन निवेदन है कि जल्द-से-जल्द यहाँ का निरीक्षण कर सफाई व्यवस्था का उचित प्रबन्ध करें। आशा है, आप इस ओर त्वरित कार्यवाही कर, लोगों को होने वाली परेशानी से छुटकारा दिलाएँगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय

हस्ताक्षर......

(दीपक कुमार)

 

(2) अपने क्षेत्र में डाक-व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए अपने क्षेत्र के डाकपाल को प्रार्थना-पत्र लिखिए।

 

141, साकेत निवासी संघ,

मेरठ।

 

दिनांक 16 मई, 20XX

 

सेवा में,

डाकपाल महोदय,

मुख्य डाकघर,

मेरठ कैन्ट,

मेरठ।

 

विषय- इलाके में डाक व्यवस्था दुरुस्त करने हेतु।

 

महोदय,

मैं आपका ध्यान साकेत निवासी संघ, मेरठ की ओर केन्द्रित कराना चाहता हूँ, हमारे क्षेत्र का डाकिया अपने कार्य के प्रति अत्यन्त लापरवाही दिखा रहा है। वह हमारे पत्र घर के बाहर फ़ेंक कर चला जाता है, या फिर छोटे बच्चों को पकड़ा देता है। इससे पत्रों के खोने का डर हमेशा बना रहता है। यद्यपि इलाके के अधिकांश घरों के द्वार पर 'पत्र-पेटिका' लगी हुई है, परन्तु वह उनमें पत्र नहीं डालता। हमने डाकिये से कई बार हाथ जोड़कर निवेदन भी किया है कि वह पत्रों को सही जगह पर डाले, पर जैसे वह हमारी बात एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देता है।

 

अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप उसे चेतावनी देते हुए कार्य के प्रति पूरी ईमानदारी बरतने को कहें।

 

आपकी इस कृपा के लिए हम सदैव आभारी रहेंगे।

 

भवदीय

हस्ताक्षर......

सचिव

किशोर

साकेत निवासी संघ

 

(3) आयकर अधिकारी को पत्र लिखिए, जिसमें आयकर से माफी एवं पूर्ण मुक्ति के लिए प्रार्थना की गयी हो।

 

61, रामबाग,

लखनऊ।

 

दिनांक 30 मार्च, 20XX

 

सेवा में,

आयकर अधिकारी,

लखनऊ।

 

विषय- आयकर से पूर्ण मुक्ति हेतु।

 

महोदय,

मुझे दिनांक 29 मार्च, 20XX को आपकी ओर से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें वर्ष 20XX-XX के लिए 5,005 आयकर अदा करने को कहा गया है।

उक्त अवधि से मेरी आय आयकर सीमा से निम्न है, लगता है किसी त्रुटिवश मेरी आय पर आयकर का निर्धारण कर दिया गया है।

आपसे प्रार्थना है कि मेरे खातों की जाँच कर मुझे आयकर से पूर्ण मुक्ति हेतु निर्देश जारी करें।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय

हस्ताक्षर ......

जितेन्द्र गोयल

 

(4) भारी वर्षा के कारण हुए नुकसान से अवगत कराते हुए मुख्यमन्त्री को सहायतार्थ प्रार्थना-पत्र लिखिए।

 

16/1, रामनगर, नैनीताल

उत्तराखण्ड।

 

दिनांक 20 अगस्त, 20XX

 

सेवा में,

माननीय मुख्यमन्त्री महोदय,

उत्तराखण्ड सरकार,

देहरादून।

 

विषय- मुख्यमन्त्री से तात्कालिक सहायता हेतु।

 

मान्यवर,

सविनय निवेदन यह है कि मैं रामनगर, नैनीताल क्षेत्र का निवासी हूँ। दुर्भाग्य से इस वर्ष हमारे क्षेत्र में भारी वर्षा हुई, जिसके कारण हमारे खेतों में महीनों पानी जमा रहा। जल का समुचित निकास न होने के कारण वर्षा के इस पानी ने हमारी सारी फसल चौपट कर दी। पशुओं के लिए बोया गया चारा भी गलकर नष्ट हो गया। परिणामस्वरूप मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिए अनाज का संकट आन पड़ा है। स्थान-स्थान पर पानी जमा रहने के कारण अनेक बीमारियाँ भी फैल गई हैं। लोग अपने-अपने घरों को छोड़ने के लिए बाध्य हो रहे हैं। स्थिति दयनीय और चिन्ताजनक है।

आपसे अनुरोध है कि शीघ्र ही इस क्षेत्र के निवासियों की समस्याओं पर संज्ञान लेते हुए उनकी सहायता के लिए जिलाधिकारी को आदेश दें।

आशा है आप शीघ्र ही इस ओर ध्यान देंगे और उचित तात्कालिक सहायता देकर यहाँ के निवासियों को संकट की इस स्थिति से बचाएँगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय

हस्ताक्षर.....

किशोर कुमार

(3) सम्पादक के नाम पत्र

सम्पादक के नाम पत्र वे पत्र हैं, जो पाठकों द्वारा समाचार-पत्रों अथवा पत्रिकाओं के सम्पादकों को सम्बोधित करके लिखे जाते हैं। समाचार-पत्रों में 'सम्पादक के नाम पत्र' का एक विशेष कॉलम होता है। इस कॉलम के माध्यम से एक व्यक्ति अपनी बात को समस्त पाठकों, अधिकारियों और सरकार तक प्रेषित करता है। इस कॉलम को विभिन्न समाचार-पत्र/पत्रिकाओं द्वारा 'पाती पाठकों की; 'रीडर्स मेल', 'जनवाणी', 'लोकमत', 'पाठकों की दुनिया', 'पाठकों की राय', 'पाठक संवाद', एवं 'चौपाल' सरीखे अलग-अलग नाम दिए गए हैं।

सम्पादक के नाम पत्र के अन्तर्गत निम्न पत्रों को शामिल किया जाता है- समस्या सम्बन्धी पत्र, शिकायत सम्बन्धी पत्र, अपील और निवेदन सम्बन्धी पत्र, समीक्षा/सुझाव सम्बन्धी पत्र सम्मिलित हैं, जो इस पाठ के अन्तर्गत बताए गए हैं।

सम्पादक के नाम पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें

(1) सबसे पहले सादे कागज पर बायीं ओर जिसके द्वारा पत्र लिखा जा रहा है उसका पता व दिनांक लिखी जाती है तत्पश्चात बायीं ओर 'सेवा में' लिखने के बाद प्रेषिती (पत्र भेजने के लिए) के लिए सम्पादक, समाचार-पत्र का नाम, शहर का नाम लिखा जाता है।

(2) विषय लिखने के बाद सम्बोधन के लिए 'महोदय' का प्रयोग किया जाता है।

(3) तत्पश्चात यह लिखते हुए कि 'मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र में ...... शीर्षक के तहत अपने विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस प्रकार शुरुआत करके विषय-वस्तु का वर्णन किया जाता है।

(4) अन्त में आशा करता हूँ आप इसे प्रकाशित कर मुझे अनुगृहीत करेंगे। 'यह लिखने के बाद बाई ओर 'धन्यवाद' लिखने हुए, उसके नीचे भवदीय आदि लिखकर अपना नाम लिख दिया जाता है।

समस्या सम्बन्धी पत्र

सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले समस्या सम्बन्धी पत्र वे होते हैं, जिनमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं पर विचार प्रस्तुत किए जाते हैं। सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले समस्या सम्बन्धी पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-

 

(1) हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बाल मन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की समस्या का वर्णन करते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

 

424, तिलक नगर,

दिल्ली।

 

दिनांक 25 फरवरी, 20XX

 

सेवा में,

सम्पादक महोदय,

दैनिक भास्कर,

नई दिल्ली।

 

विषय- हिंसा प्रधान फिल्मों के बाल मन पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की समस्या हेतु।

 

महोदय,

मैं आपके दैनिक समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान हिंसा प्रधान फिल्मों के दुष्प्रभाव की ओर दिलाना चाहती हूँ। आजकल दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर हिंसा प्रधान फिल्मों का प्रदर्शन धड़ल्ले से किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि उन पर सरकार का कोई नियन्त्रण नहीं रह गया हैं। आज कल समाज में हो रही लूट-पाट एवं हिंसा की घटनाओं का कारण भी ये फिल्में हैं। इन फिल्मों से युवा मन जल्दी ही बुराई की ओर आकर्षित होता है।

इस पत्र के माध्यम से मैं सरकार के 'सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय' से अपील करना चाहती हूँ कि वह इस प्रकार की फिल्मों पर रोक लगाए।

 

धन्यवाद।

 

भवदीया

स्नेहा

 

(2) बुजुर्गो को न्याय दिलवाने एवं उनकी समस्याओं के समाधान हेतु विचार व्यक्त करते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

 

ए-;ब्लॉक, लाल बाग,

दिल्ली।

 

दिनांक 1 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में

सम्पादक महोदय,

दैनिक जागरण,

नोएडा।

 

विषय- बुजुर्गों की समस्या के समाधान हेतु।

 

महोदय,

इस पत्र के माध्यम से मैं सरकार का ध्यान बुजुर्गों की समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। दिल्ली मेट्रो रेल में महिलाओं के लिए अलग डिब्बा बनाना अच्छी बात है, परन्तु इससे महिलाओं के डिब्बे अन्य डिब्बों की तुलना में लगभग खाली रहते हैं। महिलाओं के डिब्बे में जवान महिलाएँ जो खड़ी रह सकती हैं, सीटों पर बैठती हैं, जबकि अन्य डिब्बों में ऐसे बुजुर्गों तथा विकलांग पुरुषों को खड़ा रहना पड़ता है, जो खड़े नहीं हो सकते। दूसरी ओर, जो परिवार सफ़र करता है उसके साथ की महिला तो 'महिला कोच' में चढ़ जाती है, बाकी परिवार अलग हो जाता है।

बल्कि यह होना चाहिए कि पहला डिब्बा महिलाओं का, दूसरा परिवार का हो, तथा बुजुर्ग और विकलांगों के लिए भी इन डिब्बों में कुछ सीटें रिजर्व हों। भारत सरकार ने बुजुर्गों के लिए रेल में 40% छूट दी हुई है। दिल्ली सरकार इतना तो कर सकती है कि हर बी. पी. एल. कार्ड धारक बुजुर्ग को कहीं भी जाने के लिए मेट्रो में अधिकतम किराया 10 तथा बस में अधिकतम किराया 5 तय कर दे। यदि ऐसा होता है, तब ही सही मायने में बुजुर्गो के प्रति न्याय होगा और उनकी समस्याओं का भी समाधान होगा।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय

चेतन

 

(3) देश में बढ़ रही कन्या-भ्रूण हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

 

142, पटेल नगर,

नई दिल्ली।

 

दिनांक 15 मार्च, 20XX

 

सेवा में,

सम्पादक महोदय,

नवभारत टाइम्स,

नई दिल्ली।

 

विषय- कन्या-भ्रूण हत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के सन्दर्भ में।

 

महोदय,

आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से मैं देश में बढ़ रही कन्या-भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। अनेक लोग गर्भ में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या-भ्रूण होने की स्थिति में इसे मार डालते हैं, गर्भ में ही कन्या-भ्रूण की हत्या कर दी जाती है। ऐसा करने वाले केवल गरीब या निर्धन एवं अशिक्षित लोग ही नहीं होते, बल्कि समाज का पढ़ा लिखा एवं धनी तबका भी इसमें बराबरी की हिस्सेदारी करता है।

 

समाज का यह दृष्टिकोण अत्यन्त रूढ़िवादी एवं पिछड़ा है, जिसे किसी भी स्थिति में बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। समाज के बौद्धिक एवं तार्किक लोगों का कर्त्तव्य है कि वे सरकार एवं प्रशासन के साथ मिलकर कन्या-भ्रूण हत्या को अन्जाम देने वाले या उसका समर्थन करने वाले लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें, जिससे समाज का सन्तुलन एवं समग्र विकास सम्भव हो सके।

 

धन्यवाद।

 

भवदीया

ऋतिका

 

शिकायत सम्बन्धी पत्र

सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले शिकायत सम्बन्धी पत्रों में विभिन्न विभागों, संस्थाओं और उनके कर्मचारियों के आचरण, शासन एवं प्रशासन की अव्यवस्था आदि की शिकायत से सम्बन्धी पत्र आते हैं। सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले शिकायत सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-

 

(1) चुनाव के दिनों में दीवारों पर नारे लिखने व पोस्टर चिपकाने से गन्दी हुई दीवारों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

 

435, सुभाष नगर,

दिल्ली।

 

दिनांक 18 मार्च, 20XX

 

सेवा में,

सम्पादक महोदय,

दैनिक भास्कर,

नई दिल्ली।

 

विषय- शहर की दीवारें गन्दी होने के सन्दर्भ में।

 

महोदय,

मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से आपका ध्यान चुनावी नारों एवं पोस्टर से होने वाली गन्दगी की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। इस समय चुनाव का माहौल होने के कारण राजनीतिक दलों के कार्यकर्त्ता दीवारों पर जगह-जगह पोस्टर चिपका देते हैं व नारे लिख देते हैं जिसके कारण पता आदि ढूँढने में काफी परेशानी होती है। चुनाव के बाद भी कोई राजनीतिक दल या सरकारी संस्था इसकी खोज-खबर नहीं लेती है। इस बारे में चुनाव आयोग को आगे आकर इस सन्दर्भ में कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। जिस राजनीतिक दल का पोस्टर दीवारों या दरवाजे पर लगा हो उससे हर्जाना लिया जाना चाहिए।

 

धन्यवाद।

 

भवदीया

नेहा

 

 

(2) दिल्ली में महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों का उल्लेख करते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

 

261, गाँधी नगर,

दिल्ली।

 

दिनांक 21 मार्च, 20XX

 

सेवा में,

सम्पादक महोदय,

दैनिक भास्कर,

दिल्ली।

 

विषय- महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों के सम्बन्ध में।

 

महोदय,

मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से दिल्ली-प्रशासन का ध्यान महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। आजकल दिल्ली अपराधों का केन्द्र बनती जा रही है। यहाँ अब महिलाएँ स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं करती। दिन-प्रतिदिन यहाँ अपराधों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। छेड़खानी की घटनाएँ तो आम बात हो गई है।

महिलाओं के प्रति अपराधों के बढ़ने का कारण यह है कि सामाजिक सुरक्षा तथा न्याय व्यवस्था के विषय में अपराधियों को पता होता है कि वह उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। कत्ल, हत्या, छेड़छाड़ कुछ भी हो, कोई भी गवाही देने को तैयार नहीं होता, लोग कोर्ट-कचहरी से डरते हैं। ऐसे डरपोक समाज का फायदा उठाते हुए कुप्रवत्ति वाले लोग आसानी से गलत काम करने से बाज नहीं आते हैं।

अतः प्रशासन को ऐसी हरकत करने वालों पर निगरानी रखनी चाहिए और इन सभी पहलुओं पर विचार करते हुए ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त-से-सख्त कदम उठाने चाहिए।

 

धन्यवाद।

 

भवदीया

कंचन

 

अपील और निवेदन सम्बन्धी पत्र

सम्पादक के नाम लिखे जाने वाले अपील अथवा निवेदन सम्बन्धी पत्र ऐसे पत्र होते हैं, जिनमें अकाल पीड़ितों, बाढ़ पीड़ितों या अन्य किसी प्रकोप से ग्रस्त व्यक्तियों की सहायता हेतु अपील अथवा निवेदन किया जाता है। इसके अतिरिक्त किसी दूसरे विषयों पर भी अपील अथवा निवेदन किया जा सकता है।

 

(1) 'स्वच्छ भारत अभियान' को सफल बनाने की अपील करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

 

425, मुखर्जी नगर,

नई दिल्ली।

 

दिनांक 5 मई, 20XX

 

सेवा में,

सम्पादक महोदय,

नवभारत टाइम्स,

नई दिल्ली।

 

विषय- 'स्वच्छ भारत अभियान' को सफल बनाने हेतु।

 

महोदय,

मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से सभी लोगों का ध्यान 'स्वच्छ भारत अभियान' की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। गाँधी जी की 145 वीं जयन्ती के अवसर पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इस अभियान के आरम्भ करने की घोषणा की थी। इस स्वच्छ्ता अभियान में हम सभी भारतीयों का कर्त्तव्य है कि हम इस अभियान को सफल बनाने में अपना सक्रिय योगदान दें। 'स्वच्छ भारत अभियान' वैयक्तिक एवं सामाजिक दोनों स्तर पर अत्यधिक लाभप्रद होगा।

अतः मेरी सभा से अपील है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्वयं को, अपने घर को, अपने पड़ोस को, अपने मोहल्ले को, अपने जिले को, अपने राज्य को और अपने देश को स्वच्छ रखने में सहयोग दें।

 

धन्यवाद।

 

भवदीया

ऋतिका

 

(2) पर्यावरण में हो रही क्षति के सन्दर्भ में अधिक से अधिक वृक्ष लगाने का निवेदन करते हुए किसी प्रतिष्ठित दैनिक पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

 

424, शालीमार बाग,

दिल्ली।

 

दिनांक 16 मार्च, 20XX

 

सेवा में,

सम्पादक महोदय,

नवभारत टाइम्स,

दिल्ली।

 

विषय- अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के सम्बन्ध में।

 

महोदय,

इस पत्र के माध्यम से मैं प्रशासन, सरकार व आम जनता का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती हूँ कि वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई व कारखानों से निकलने वाले धुएँ के कारण पर्यावरण को अत्यधिक क्षति हो रही है। यद्यपि वन महोत्सव के अवसर पर वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम आरम्भ किया जाता है तथा अनेक वृक्ष भी लगाए जाते हैं, परन्तु उनकी देखभाल नहीं की जाती जिसके कारण पर्यावरण में प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है।

मेरा सभी से निवेदन है कि हम सभी को मिलकर अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे जिससे हम पर्यावरण को सुरक्षित कर पाएँगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय

राहुल

 

(3) भूकम्प पीड़ितों के लिए हर सम्भव मदद के प्रयास करने की अपील करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

 

32, राजेन्द्र नगर,

नई दिल्ली।

 

दिनांक 9 जनवरी, 20XX

 

सेवा में,

सम्पादक महोदय,

नवभारत टाइम्स,

नई दिल्ली।

 

विषय- भूकम्प पीड़ितोंकी हर सम्भव मदद हेतु।

 

महोदय,

इस पत्र के माध्यम से मैं सभी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती हूँ कि हाल ही में उत्तर भारत के मणिपुर राज्य में आए भूकम्प ने मणिपुर के कई इलाकों को तहस-नहस कर दिया। इस विनाशकारी भूकम्प में कई लोगों की जान चली गई तथा कई लोग घायल हो गए। इस भूकम्प के कारण लगभग 200 घर व इमारतें भी ध्वस्त हो गई।

इस आपदा ने जाहिर कर दिया कि कोई भी देश अथवा मनुष्य तकनीकी रूप से कितना ही विकसित हो जाए, किन्तु प्रकृति के सामने उसे विवश होना ही पड़ता है। कोई भी देश भूकम्प आदि प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाने की तकनीक नहीं विकसित कर पाया है।

प्रकृति अपना ऐसा विकराल रूप किसी भी देश को दिखा सकती है। अतः इस मुश्किल घड़ी में सभी राज्यों को हर सम्भव मदद करने का प्रयास करना चाहिए।

 

धन्यवाद।

 

भवदीया

प्रीतिप्रेस-विज्ञप्ति सम्बन्धी

सरकार समय-समय पर सरकारी आदेश, प्रस्ताव अथवा निर्णय समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने के लिए भेजती है। इसे ही प्रेस-विज्ञप्ति कहा जाता है।

 

प्रेस-विज्ञप्ति आमतौर पर सरकारी केन्द्रीय कार्यालय से प्रसारित होती है और इसकी शब्दावली एवं शैली निश्चित होती है। समाचार-पत्र का सम्पादक 'प्रेस-विज्ञप्ति' में किसी प्रकार की काट-छाँट नहीं कर सकता। प्रेस-विज्ञप्ति में कभी-कभी यह भी लिखा जाता है कि इसे किस तिथि तक प्रकाशित करना है। समय से पूर्व इसका प्रकाशन नहीं किया जाता।

प्रेस-विज्ञप्ति का अपना एक शीर्षक होता है, इसमें सम्बोधन नहीं लिखा जाता। इसके अन्त में नीचे बायीं ओर हस्ताक्षर तथा पदनाम लिखा जाता है। उल्लेखनीय है कि प्रेस-विज्ञप्ति को सीधे समाचार-पत्र कार्यालय में न भेजकर सूचना अधिकारी के पास भेजा जाता है।

 

प्रेस-विज्ञप्ति के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

 

(1) भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय की ओर से भारत और ट्रिनिडाड-टोबैगो के मध्य राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने के सम्बन्ध में प्रेस-विज्ञप्ति जारी कीजिए।

 

प्रेस विज्ञप्ति

 

..................................... दिनांक 28 अप्रैल, 20XX

 

भारत और ट्रिनिडाड-टोबैगो के मध्य राजनयिक सम्बन्ध

 

भारत सरकार और त्रिनिडा-टोबैगो सरकार इस बात पर सहमत हो गई है कि दोनों सरकारों के दूतावासों के स्तर पर मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित किए जाएँ। इस व्यवस्था से यह आशा की जाती है कि दोनों देशों में परस्पर सम्बन्ध और भी अधिक सुदृढ़ हो जाएँगे, जो दोनों के लिए लाभकारी होंगे।

 

(मुख्य सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, नई दिल्ली के पास विज्ञप्ति जारी करने तथा इसे विस्तृत रूप से प्रसारित करने के लिए प्रेषित)

 

.....................................हस्ताक्षर .......

................................. संयुक्त सचिव

................................. विदेश मन्त्रालय,

....................................भारत सरकार,

 

(2) भारत सरकार के गृह मन्त्रालय की ओर से भारत और चीन के बीच सीमा-विवाद पर समझौता हो जाने हेतु प्रेस-विज्ञप्ति जारी कीजिए।

 

प्रेस विज्ञप्ति

 

..................................दिनांक 23 मार्च, 20XX

 

भारत और चीन के बीच सीमा-विवाद पर समझौता

 

भारत और चीन के बीच वर्षों से चले आ रहे सीमा-विवाद पर समझौता हो चुका है। समझौते पर दोनों देशों के प्रधानमन्त्रियों ने सहमति स्वरूप हस्ताक्षर कर इसे लागू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी हैं। सीमा-रेखा के निर्धारण के लिए विवादग्रस्त क्षेत्र के मध्य भाग को सीमा-रेखा मानकर दोनों देशों को मान्य समाधान स्वीकार किया गया है।

 

(मुख्य सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, नई दिल्ली के पास विज्ञप्ति जारी करने तथा इसे विस्तृत रूप से प्रसारित करने के लिए प्रेषित।)

 

..........................................हस्ताक्षर.....

...........................................सचिव

...........................................भारत सरकार

............................................गृह मन्त्रालय

............................................नई दिल्ली।

 

(3) भारत सरकार के संचार मन्त्रालय की ओर से कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों की शर्ते की प्रेस-विज्ञप्ति जारी कीजिए।

 

प्रेस-विज्ञप्ति

 

.............................................दिनांक 16 जुलाई, 20XX

 

कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों की शर्तों की बाबत

 

भारत सरकार ने महानिदेशक, डाक और तार के प्रार्थना-पत्र पर डाक-तार कर्मचारियों के वेतन और उनकी सेवा-शर्तों पर विचार करने के लिए तुरन्त एक जाँच आयोग के गठन का निश्चय किया है। इस आयोग के सदस्यों के नाम जल्द ही घोषित किए जाएँगे। इसमें डाक-तार विभाग के दो प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएँगे।

आयोग के विचारार्थ विषयों में विशेषतः इन कर्मचारियों के वेतन और भत्तों के बारे में, दिन-प्रतिदिन बढ़ती महँगाई को ध्यान में रखते हुए, सरकार को सलाह दी जाएगी। आयोग निम्न वर्ग के कर्मचारियों की प्रोन्नति की अन्य समस्याओं पर भी विचार करेगा।

 

(मुख्य सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, नई दिल्ली के पास विज्ञप्तिजारी करने तथा इसे विस्तृत रूप से प्रसारित करने के लिए प्रेषित।)

 

............................................हस्ताक्षर......

........................................... उप-सचिव

............................................भारत सरकार

............................................संचार मन्त्रालय

............................................नई दिल्ली।

 

निविदा सम्बन्धी पत्र

निविदा का शाब्दिक अर्थ है, आवश्यक रकम लेकर वांछित वस्तुएँ जुटा देने या काम पूरा करने का लिखित वादा देना। निविदा को अंग्रेजी में Tender (टेण्डर) कहते हैं।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी निर्माण कार्य, जैसे- कार्यालय भवन, निम्न आय वर्ग के लिए क्वार्टर, मध्यम आय वर्ग या उच्च आय वर्ग के लिए फ्लैट, किसी सड़क, ट्रॉली, डिब्बे आदि के निर्माण के लिए मोहरबन्द निर्धारित प्रपत्र पर जो आवेदन आमन्त्रित किए जाते हैं, वही 'निविदा' कहलाती है।

 

निविदा सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

 

(1) संसद निर्माण वैद्युत मण्डल की ओर से डीलरों को आवेदन के साथ डीलरशिप सर्टिफिकेट जमा करने हेतु निविदा आमन्त्रण सूचना लिखिए।

 

................................दिनांक 22 मार्च, 20XX

 

निविदा आमन्त्रण सूचना

 

भारत के राष्ट्रपति की ओर से कार्यपालक अभियन्ता (वै.) संसद निर्माण वैद्युत मण्डल-2, के. लो. नि. वि., विद्युत भवन, शंकर मार्केट, नई दिल्ली-01 द्वारा फिलिप्स/हैलोनिक्स/विप्रो/क्रॉंम्प्टन/सूर्या/बजाज/वेंचर/जीई/मेक सीएफएल लैम्प, एमएच लैम्प, एमएच/एचपीएसवी चोक एवं पीएलएल ट्यूब के निर्माताओं अथवा उनके अधिकृत डीलरों से मुहरबन्द लिफाफों में निविदाएँ आमन्त्रित की जाती हैं। अधिकृत डीलरों को आवेदन के साथ अपना प्राधिकार पत्र/डीलरशिप सर्टिफिकेट आदि जमा कराना होगा। अन्यथा उनके आवेदन तत्काल निरस्त कर दिए जाएँगे।

 

कार्य का नाम  कार्य का नाम : स्टॉक (सबहैड:सीएफएल लैम्प, एमएच लैम्प, एमएच/एचपी एसवी चोक तथा पीएल ट्यूब की आपूर्ति)

अनुमानित लागत     17,64, 703

धरोहर राशि   35, 294

नियम व शर्ते सहित निविदा प्रपत्रों की कीमत 500

नियमों व शर्तो सहित निविदा प्रपत्रों के निर्गमन हेतु आवेदन प्राप्ति की अन्तिम तिथि     28.03.20XX, अपराह 3 : 00 बजे तक

नियमों व शर्ते सहित निविदा प्रपत्रों के निर्गमन की तिथिि  28.03.20XX, अपराह 4 : 00 बजे तक

निविदा प्राप्ति की तिथि      29.03.20XX, अपराह 3 : 00 बजे तक

परिपूर्णन अवधि      एक माह

(2) एयर फोर्स स्टेशन, दादरी में यू.जी. केबल बिछाने हेतु निविदा सूचना लिखिए।

 

एयर फोर्स स्टेशन, दादरी

गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश।

................................. दिनांक 23 मार्च, 20XX

 

निविदा सूचना

 

कार्य का नाम : एयरफोर्स स्टेशन दादरी में 6.0 किमी यू.जी. केबल तथा 3.5 किमी ओ. एफ.सी. की आपूर्ति करना, बिछाना, परीक्षक एवं प्रचालन आरम्भ करना।

परियोजना की लागत : 31,44, 107

धरोहर राशि : 1, 00,000 निविदा शुल्क : 100 परिपूर्ण अवधि : आपूर्ति आदेश प्रदान किए जाने की तिथि से 12 से 16 सप्ताह

निविदा दस्तावेजों की बिक्री की तिथि : 21.3.XX से 14.4. 20XX, 14:00 तक (सभी कार्य दिवसों में)

निविदा प्राप्ति की तिथि एवं समय : 14.4.20XX, 14:00 बजे तक (सभी कार्य दिवसों में)

तकनीकी निविदा खोले जाने की तिथि : 15.4.20XX (11:00 बजे)

वित्तीय निविदा खोले जाने की तिथि : निविदाओं के तकनीकी मूल्यांकन को अन्तिम रूप दिए जाने के बाद सूचित की जाएगी।

निविदा दस्तावेजों की बिक्री का स्थान : कार्यालय : सीपीई, पी.एम.जी., एएफ, स्टेशन दादरी, सोधोपुर की झील, जिला; गौतमबुद्ध नगर, उ.प्र.203208

 

2. आरएफसी (प्रस्ताव हेतु अनुरोध) का विस्तृत विवरण तथा डी.सी.ए. (ड्राफ्ट कॉन्ट्रेक्ट एग्रीमेन्ट) इण्डियन एयरफोर्स की वेबसाइट www.indian airforce.nic.in से डाउनलोड किए जा सकते हैं। यह स्टेशन निर्धारित तिथि एवं समय के भीतर निविदा के नियमों व शर्तों सहित निविदा/कोटेशन प्रपत्रों का प्राप्ति/जमा कराने में होने वाली किसी देरी के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।

 

......................................हस्ताक्षर.....

कार्यालय सम्बन्धी अन्य पत्र

कार्यालय सम्बन्धी पत्रों में अभी तक हमने शासनादेश, कार्यालय आदेश, सूचना, ज्ञापन, प्रेस-विज्ञप्ति, अनुस्मारक एवं निविदा सम्बन्धी पत्रों के बारे में पढ़ा। इन पत्रों के अलावा कार्यालयी पत्रों के कुछ और प्रकार भी हैं। आइए, इन पत्रों के बारे में भी हम जानकारी प्राप्त करते हैं।

 

1. परिपत्र

परिपत्र के विषय में हम व्यवसायिक पत्रों के अन्तर्गत पढ़ चुके हैं। जिस पत्र के माध्यम से एक सूचना अथवा निर्देश एक साथ कई मन्त्रालयों, कार्यालयों, विभागों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों तक पहुँचाई जाती है; उसे 'परिपत्र' कहते हैं।

 

भारत सरकार गृह मन्त्रालय, नई दिल्ली

पत्र संख्या - 5/24/20,

 

..................................... दिनांक 15 जून, 20XX

 

परिपत्र

 

कुछ असामाजिक संगठन सुनियोजित ढंग से देश में व्यापक अस्थिरता का माहौल पैदा करना चाहते हैं तथा उन्हें शत्रु देशों से प्रोत्साहन भी मिल रहा है। सरकार ने इन असामाजिक संगठनों को पूरी तरह नियन्त्रण में करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकारों को भी इस सम्बन्ध में कड़े कदम उठाने हैं।

 

इस सम्बन्ध में सरकार उठाए जाने वाले कदमों का शीघ्र ही ब्यौरा भेजेगी। राज्य सरकारों का सहयोग अपेक्षित है।

 

............................................... हस्ताक्षर........

..................................................उप-सचिव,

..................................................भारत सरकार

 

प्रतिलिपि

 

सभी राज्य सरकार

 

2. अधिसूचना

ऐसी सूचनाएँ जो सरकार के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित होती हैं, उन्हें 'अधिसूचना' कहा जाता है। ये सूचनाएँ वास्तव में, राष्ट्रपति अथवा राज्यपालों की ओर से जारी की गई मानी जाती हैं। इसलिए इनमें प्रेषक का उल्लेख नहीं होता है।

 

उल्लेखनीय है कि अधिसूचना के जरिए सूचना पाने वाले अधिकारी या कर्मचारी को पृष्ठांकन से एक प्रति भेज दी जाती है। इसके अतिरिक्त लेखा विभाग अथवा अन्य सम्बद्ध विभाग को भी सूचित करना पड़ता है।

अधिसूचना का क्षेत्र बहुत व्यापक होता है। उच्च अधिकारियों की नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति, स्थानान्तरण, अधिनियमों में संशोधन आदि बहुत से क्षेत्र अधिसूचना की सीमा में आते हैं।

 

अधिसूचना

(भारत के राजपत्र भाग 2 अनुभाग 4 में प्रकाशनार्थ)

 

भारत सरकार,

कृषि मन्त्रालय,

नई दिल्ली।

 

दिनांक 25 मई, 20XX

 

श्री विष्णु गुप्ता आई.ए.एस. को जो वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार में कार्यरत हैं, दिनांक 30.5.20XX से कृषि मन्त्रालय में अवर सचिव के रूप में प्रतिनियुक्त किया जाता है।

 

...........................................हस्ताक्षर ......

...........................................सचिव,

.......................................... भारत सरकार।

...........................................अधिसूचना सं. - 5/5/1

 

इस अधिसूचना की प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ प्रेषित

 

(1) स्थापना शाखा, कृषि मन्त्रालय।

(2) मुख्य सचिव, मध्य प्रदेश।

(3) श्री विष्णु गुप्ता, आई.ए.एस. मध्य प्रदेश सरकार।

 

3. पावती

प्रधानमन्त्री, मुख्यमन्त्री या अन्य मन्त्रियों के पास प्रतिदिन ऐसे पत्र आते हैं, जिनमें किसी कार्यालय या अधिकारी की शिकायत की जाती है। यही नहीं अपनी व्यक्तिगत समस्या से अवगत कराकर सहायता की माँग सम्बन्धी अनेक पत्र भी मन्त्रियों को मिलते हैं।

इस प्रकार के सभी पत्रों को उक्त मन्त्रियों द्वारा पढ़ा जाना सम्भव नहीं होता है। ऐसे पत्रों को उनके निजी सचिव या सहायक आवश्यक कार्यवाही हेतु सम्बन्धित कार्यालय अथवा अधिकारी को भेज देते हैं। इसके साथ ही शिष्टाचारवश पत्र-प्रेषक को सन्तोष देने हेतु पत्र-प्राप्ति की स्वीकृति अथवा सूचना भेज दी जाती है। यही 'पावती' पत्र कहलाता हैं।

इस तरह के पावती पत्र पहले से छपे अथवा अंकित रहते हैं, उनमें उस व्यक्ति विशेष का नाम और दिनांक भरनी होती हैं।

 

पावती

श्री रामकिशन बंसीवाल............................मुख्यमन्त्री,

एच-15, अलीगढ़,...............................उ. प्र. सरकार,

उ.प्र. ............................................ लखनऊ।

 

........................................... दिनांक 18 अप्रैल, 20XX

 

महोदय,

आपका दिनांक 15 अप्रैल, 20XX को मुख्यमन्त्री को भेजा गया पत्र प्राप्त हो गया है। आप निश्चित रहें, इस पर कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

 

..........................................भवदीय,

..........................................हस्ताक्षर......

..........................................निजी सचिव,

.........................................मुख़्यमंत्री,

.........................................उत्तर प्रदेश सरकार।

 


पटना-4
5
दिसंबर, 1987

पूज्यवर पिताजी,

आपके लिए एक खुशखबरी है। आपको यह जानकर ख़ुशी होगी कि मैं टेस्ट परीक्षा में अपने वर्ग में प्रथम हुआ।

मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च 1998 से प्रारंभ होगी। बोर्ड परीक्षा की तैयारी करने के लिए मेरे पास काफी समय है। मैं अपने समय का अच्छी तरह उपयोग करना चाहता हूँ। मैंने अपनी पाठ्यपुस्तकों को अच्छी तरह पढ़ लिया है। अब मैं प्रत्येक विषय में कुछ संभावित प्रश्र तैयार कर रहा हूँ। मैंने अपने अध्ययन के लिए एक कार्यक्रम बना लिया है। मैं प्रत्येक विषय को अच्छी तरह तैयार कर रहा हूँ। मैं लिखने के काम में काफी समय लगाता हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि जनवरी के अंत तक मैं अपनी तैयारी खत्म कर लूँगा। तब मैं अपनी पाठ्यपुस्तकों को दुहराऊँगा।

मेरे शिक्षक को उम्मीद है कि मैं बोर्ड परीक्षा में अच्छा स्थान प्राप्त करूँगा। मैं आशा करता हूँ कि मेरा परीक्षाफल उनकी उम्मीद के अनुसार होगा।

कृपया माताजी को मेरा प्रणाम कह देंगे।

आपका स्त्रेही,
अशोक
पता- श्री विनोद कुमार शर्मा
स्टेशन रोड,
दरभंगा

आप परीक्षा समाप्त होने के बाद एक मित्र के घर जाना चाहते हैं। इसके लिए अनुमति माँगने के लिए अपने पिता को एक पत्र लिखिए।

गर्दनीबाग,
पटना-1
22
फरवरी, 1998

पूज्यवर पिताजी,

मुझे आपका पत्र अभी मिला है। आपने मुझे परीक्षा के बाद घर आने को कहा है। मुझे आपको यह कहने में दुःख है कि मैं तुरन्त ही घर जाना नहीं चाहता।

मेरे एक मित्र ने मुझे परीक्षा के बाद अपने घर जाने को कहा है। उनके पिता बरौनी में रहते है। मैं अपने मित्र के घर जाना चाहता हूँ। मैं कभी भी बरौनी नहीं गया हूँ। मैं तेलशोधक कारखाना देखना चाहता हूँ। मेरे मित्र ने मुझे विश्र्वास दिलाया है कि वह मुझे तेलशोधक कारखाना दिखलाएगा।

परीक्षा समाप्त होने के बाद मैं बहुत थका रहूँगा। मैं सोचता हूँ कि अपने मित्र के घर जाने से मेरा मनोरंजन होगा। मैं अपने मित्र के घर पर तीन या चार दिनों तक रहूँगा। तब मैं घर जाऊँगा।

कृपया परीक्षा समाप्त होने के बाद मुझे अपने मित्र के घर जाने की अनुमति अवश्य दें। यदि आप मुझे अपनी अनुमति नहीं देंगे तो मेरा मित्र निराश हो जाएगा।

आपका प्रिय पुत्र,
योगेंद्र
पता- श्री महेंद्र शर्मा
15
सिविल लाइंस
गया

एक पत्र में अपने पिता को बताइए कि आप माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहते हैं।

राजेंद्रनगर,
पटना- 16
2
मार्च, 1998

पूज्यवर पिताजी,

मुझे आपका पत्र अभी मिला है। आपने मुझे यह बतलाने को कहा है कि मैं माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहता हूँ।

अब बोर्ड परीक्षा होने में आधा महीना ही बाकी है। मैं परीक्षा के लिए कठिन परिश्रम कर रहा हूँ। आप चाहते है कि मैं बोर्ड परीक्षा में अच्छा करूँ और मैं सोचता हूँ कि मेरा परीक्षाफल आपकी उम्मीद के अनुकूल होगा। मैं जानता हूँ कि इस परीक्षा में मेरी सफलता पर ही मेरा भविष्य निर्भर करता है। इसलिए मैं लगातार परिश्रम कर रहा हूँ।

मैं माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद पटना विज्ञान महाविद्यालय में प्रवेश करना चाहता हूँ। आप जानते है कि यह हमारे राज्य में सबसे अच्छा महाविद्यालय है। मैंने अपने एक मित्र से सुना है कि इसमें अच्छी प्रयोगशालाएँ हैं। इस महाविद्यालय में अनेक विख्यात प्राध्यापक हैं। मैं जानता हूँ कि इस महाविद्यालय में केवल तेज छात्रों का ही नाम लिखा जाता है। मुझे उम्मीद है कि इस महाविद्यालय में मेरा नाम लिखा जाएगा।

आप जानते है कि मैंने माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में जीवविज्ञान लिया है। मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ, लेकिन मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने के पहले मुझे आई० एस० सी० की परीक्षा में उत्तीर्ण होना पड़ेगा। मैं सोचता हूँ कि माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद पटना विज्ञान महाविद्यालय में प्रवेश करना मेरे लिए अच्छा होगा।

क्या आप मेरे विचार को पसंद करते हैं ? यदि आप इसे पसंद नहीं करते तो कृपया लिखें।

आपका स्त्रेही,
अजय
पता- श्री अजय कुमार बोस,
तातारपुर,
भागलपुर-2

आपकी परीक्षा कुछ ही दिनों में होनेवाली है, लेकिन आपकी तैयारी अच्छी नहीं है। अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमे अगले वर्ष परीक्षा में शरीक होने की अनुमति के लिए उनसे अनुरोध कीजिए।

मीठापुर,
पटना-1
5
मार्च, 1988

पूज्यवर पिताजी,

मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। आपको यह जानकर अत्यंत दुःख होगा कि परीक्षा के लिए मेरी तैयारी अच्छी नहीं है।

यद्यपि परीक्षा के लिए मैं कठिन परिश्रम करता रहा हूँ, फिर भी मैंने सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार नहीं किया है। मैं अँगरेजी और भौतिक विज्ञान में बहुत कमजोर हूँ। मुझे भय है कि यदि परीक्षा में शरीक होऊँगा तो इन विषयों में अवश्य असफल हो जाऊँगा। यदि मैं इस वर्ष परीक्षा में नहीं बैठूँगा तो अच्छा होगा।

इस दुःखद समाचार से आप तथा माँ अवश्य चिंतित होंगे, लेकिन मैं बिलकुल मजबूर हूँ। आपको यह कहने में मुझे अत्यंत दुःख हो रहा है कि मैं परीक्षा में सफल नहीं हो सकता। कृपया मुझे अगले वर्ष परीक्षा में शरीक होने की अनुमति दें। मैं आपको विश्र्वास दिलाता हूँ कि मैं कठिन परिश्रम करूँगा और कमजोरी को पूरा कर लूँगा। मुझे सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार करने के लिए काफी समय मिलेगा।

अत्यंत आदर के साथ,
आपका स्त्रेही,
गिरींद्र
पता- श्री सुरेंद्र प्रसाद,
न्यू एरिया
आरा

अपने बड़े भाई को एक पत्र लिखिए जो अब कॉलेज में हैं। उनसे पूछिए कि आपको इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए।

जिला स्कूल छात्रावास,
भागलपुर
9
फरवरी, 1988

पूज्यवर भैया,

मुझे एक महीने से आपका कोई पत्र नहीं मिला है। मुझे लगता है कि आप अपने अध्ययन में इतने व्यस्त हैं कि आप मुझे पत्र नहीं लिख पाते। मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। आप चाहते हैं कि मैं परीक्षा में अच्छा करूँ और मुझे उम्मीद है कि मेरा परीक्षाफल आपकी आशा के अनुकूल होगा। मैंने सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार कर लिया है। अब मैं उनमें से अधिकतर विषयों को दुहरा रहा हूँ। मुझे बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक अवश्य आएँगे।

मैंने निश्र्चय नहीं किया है कि मुझे बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए। आप जानते है कि मैंने विज्ञान लिया है। मुझे जीवविज्ञान में बहुत रूचि है। मैं डॉक्टर बनना पसंद करूँगा।

कृपया मुझे बतलाइए कि मुझे बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए।

आपका स्त्रेहभाजन,
सुशील
पता- श्री मोहन बनर्जी,
कमरा न० 5,
न्यूटन छात्रावास,
पटना-5

अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें अध्ययन की उपेक्षा करने के लिए उसे डाँटिए।

जिला स्कूल छात्रावास,
राँची
7
जनवरी, 1988

प्रिय अजय,

मुझे अभी पिताजी का एक पत्र मिला है। उनके पत्र से यह जानकर कि तुम गत वार्षिक परीक्षा में असफल हो गए हो मुझे बहुत दुःख है। मैंने तुम्हें दुर्गापूजा की छुट्टी में कहा था कि तुम्हें कठिन परिश्रम करना चाहिए। तुमने मेरी राय पर ध्यान नहीं दिया। तुमने अध्ययन की उपेक्षा की है। इसलिए तुम परीक्षा में असफल हो गए हो।

तुम्हें स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया है। अब तुम बच्चे नहीं हो। तुम्हें यह जानना चाहिए कि तुम्हें क्या करना है। यदि तुम इस प्रकार अध्ययन की उपेक्षा करोगे तो बाद में तुम्हें दुखी होना पड़ेगा, जब तुम कुछ नहीं कर सकोगे। अपना समय बरबाद नहीं करो। तुम एक वर्ष खो चुके हो, क्योंकि तुमने अध्ययन की उपेक्षा की है। परीक्षा में असफल होना तुम्हारे लिए लज्जाजनक हैं। यदि तुम पढ़ाई पर ध्यान नहीं दोगे तो तुम्हें भविष्य में पछताना पड़ेगा।

तुम्हारी असफलता से पिताजी और माताजी दोनों को अत्यंत दुःख है। तुम्हें अपना सुधार अवश्य करना चाहिए। अच्छा लड़का बनो और पढ़ने में लग जाओ। आशा है, तुम अपनी गलती महसूस करोगे।

शुभकामनाओं के साथ-
तुम्हारा प्रिय भाई,
उमेश
पता- श्री अजय कुमार,
नवम वर्ग,
एस० एच० ई० स्कूल, सुरसंड,
पो० ऑ०- सुरसंड,
जिला- सीतामढ़ी

एक पत्र में अपने चचेरे भाई से अनुरोध कीजिए कि वे छुट्टी में आपको अपना कैमरा दें।

कदमकुआँ,
पटना -3
15
दिसंबर, 1988

पूज्यवर भ्राताजी,

बहुत दिनों से आपका कोई पत्र मुझे नहीं मिला है। मेरी वार्षिक परीक्षा खत्म हो गई है और मैं बड़े दिन की छुट्टी का इंतजार कर रहा हूँ। मैंने छुट्टी में दिल्ली और आगरा जाने का निश्र्चय किया है।

मैं आपको कुछ कष्ट देना चाहता हूँ। मैं छुट्टी में आपका कैमरा लेना चाहूँगा। यदि मुझे आपका कैमरा मिल जाए तो मैं दिल्ली और आगरे की अपनी यात्रा में कुछ मनोरंजक फोटो खीचूँगा। आप जानते है कि मैं आपके कैमरे का प्रयोग अच्छी तरह कर सकता हूँ।

कृपया अपना कैमरा मुझे एक सप्ताह के लिए दें। मुझे उम्मीद है कि आप मुझे निराश नहीं करेंगे। मैं आपको विश्र्वास दिला सकता हूँ कि आपके कैमरे को अच्छी तरह रखूँगा। ज्योंही मैं यहाँ लौटकर आऊँगा, त्योंही मैं आपको यह लौटा दूँगा।
कृपया मेरा प्रणाम चाचाजी और चाचाजी को कह देंगे।

आपका स्त्रेह भाजन
उदय
पता- श्री श्याम कुमार,
कोर्ट रोड, बाढ़
जिला-पटना

अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें मेला देखने का वर्णन कीजिए।

बाँकीपुर,
पटना-4
15
नवंबर, 1987

प्रिय शेखर,

पिछले कई दिनों से मैं तुम्हें पत्र लिखने के लिए सोच रहा था। पर, मुझे सोनपुर मेला देखने की इच्छा थी। इसलिए मैंने जान-बूझकर पत्र लिखने में देर की। मैंने सोचा कि सोनपुर मेले से लौटकर पत्र देना अच्छा होगा ताकि मैं वहाँ के अनुभव का वर्णन कर सकूँ।

सोनपुर का मेला एक बहुत बड़े क्षेत्र में लगता है। मैं समझता हूँ कि यह दुनिया का सबसे बड़ा मेला है। यहाँ सभी तरह के पशु और पक्षी- सबसे छोटे से लेकर सबसे बड़े तक- बेचे जाते है। यहाँ पर अनगिनत दूकानें रहती है और चीजों की अत्यधिक खरीद-बिक्री होती है। सबसे बड़ा बाजार जानवरों का है जहाँ गाय, भैंस, घोड़ा, ऊँट, हाथी इत्यादि बिकते हैं। मेले में बहुत-से होटल, नाटक-मंडली, सर्कस-मंडली इत्यादि रहते है। मेले में बहुत अधिक भीड़ रहती है और हरिहरनाथ के मंदिर में सबसे अधिक भीड़ रहती है।

मेले में संध्या का समय बड़ा दुःखदायी रहता है। बहुत-से लोग एक साथ भोजन बनाते है, इसलिए धुआँ बहुत उठता है। खासकर मैंने पक्षियों के बाजार का अधिक आनंद उठाया; क्योंकि एक ही जगह मैंने हजारों तरह के पक्षियों को देखा। उनमें से बहुतों का मिलना दुर्लभ था और वे बहुत दूर से लाए गए थे।

मेला जाने से मुझे बहुत आनंद हुआ, लेकिन तुम्हारी अनुपस्थिति से दुःख हुआ।

तुम्हारा शुभचिंतक,
रामानुज
पता- श्री शेखर प्रसाद,
मारफत: बाबू नंदकिशोर लाल, वकील
महाजनटोली, आरा।

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